केरल हाईकोर्ट ने राज्य के मत्स्य पालन मंत्री साजी चेरियन के खिलाफ जुलाई 2022 में एक कार्यक्रम में संविधान का अपमान करने को लेकर बृहस्पतिवार को दोबारा से जांच के आदेश दिया है. अदालत ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया, जिसमें मंत्री को क्लीन चिट दी गई थी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया था. बता दें कि केरल हाईकोर्ट का ये आदेश अधिवक्ता एम बैजू नोएल की जांच जारी रखने के अनुरोध वाली याचिका पर आया है. नोएल ने तर्क दिया कि मंत्री के इन कथित टिप्पणियों का उद्देश्य संविधान का सार्वजनिक रूप से अपमान करना था, जो कि राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धारा 2 के तहत दंडनीय है.
केरल हाईकोर्ट में जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की पीठ कहा कि शुरुआती जांच में कमियां पाई गई है, ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस ने आनन-फानन में जांच पूरी करके सौंप दी है. साथ ही उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि आगे की जांच आवश्यक है, क्योंकि आरोपी एक राज्य मंत्री है. अदालत ने आदेश दिया कि थाना प्रभारी (SHO) के बजाय राज्य अपराध शाखा द्वारा की जाए. अदालत ने कहा कि राज्य पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया जाता है कि वे इस कार्य के लिए एक विश्वसनीय अधिकारी को नियुक्त करें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जांच बिना किसी अनावश्यक देरी के पूरी हो.
मामला साल 2022 से जुड़ा है, जब चेरियन को भारतीय संविधान द्वारा आम लोगों का शोषण करने का कथित आरोप लगाने के बाद आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, बयान के चलते उन्हें केरल के मत्स्य पालन, संस्कृति और युवा मामलों के राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. दिसंबर 2022 में केरल हाईकोर्ट के एक फैसले ने विधायक के रूप में उनकी अयोग्यता की याचिका को खारिज कर दिया था. वहीं, साल 2023 में उन्हें दोबारा से मंत्री पद पर बहाल कर दिया गया था.