अब तक कितने जजों के खिलाफ संसद महाभियोग लाया गया है?
संसद में अब तक 4 जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है, लेकिन इसके जरिए अब तक किसी जज को नहीं हटाया गया है. वहीं, तीन जजों के खिलाफ तो महाभियोग प्रस्ताव आगे बढ़ भी नहीं पाया था.
संसद में अब तक 4 जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है, लेकिन इसके जरिए अब तक किसी जज को नहीं हटाया गया है. वहीं, तीन जजों के खिलाफ तो महाभियोग प्रस्ताव आगे बढ़ भी नहीं पाया था.
राज्यसभा सांसद व सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग लाने की कवायद शुरू कर दी है. राज्यसभा सांसद ने सदन में न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संविधान के अनुच्छेद 218 के तहत महाभियोग नोटिस पेश किया है.
संसद में जज के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए लोकसभा के 100 सदस्य और राज्यसभा के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर किए हुए नोटिस की जरूरत होती है. नोटिस मिलने के बाद सदन में एक जांच कमिटी गठित की होती है, जो इन आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सबमिट करेगी. इस रिपोर्ट पर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जज को पद से हटाया जा सकता है.
सभापति के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना पड़ता है. विंटर सेशन 20 दिसंबर तक ही है, जिससे विपक्ष द्वारा महाभियोग का प्रस्ताव लाना अनिश्चित-सा प्रतीत होता है.
राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने पद की शपथ का उल्लंघन किया है और वह अन्य विपक्षी सांसदों के साथ मिलकर न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस देंगे.
देश के नागरिकों को न्याय दिलाने वाले न्यायाधीश अगर गलत हों, तो उन्हें किस तरह सजा दी जाती है? एक न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया क्या है और अब तक कितनों को इसका सामना करना पड़ा है, जानिए
जब भी कोई राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होते हैं तो उन्हें महाभियोग प्रक्रिया के तहत उनके पद से हटाया जा सकता है.
हमारे देश की न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका दोनों से स्वतंत्र है. न्यायपालिका एक सार्वजनिक तथा खुली न्यायिक प्रणाली के तहत जवाबदेह है. महाभियोग न्यायपालिका को सिस्टम के प्रति जवाबदेह बनाती है परन्तु महाभियोग की प्रकिया जटिल है.
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