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इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस के खिलाफ राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल का बड़ा दावा, कहा- महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे

राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने पद की शपथ का उल्लंघन किया है और वह अन्य विपक्षी सांसदों के साथ मिलकर न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस देंगे.

Written by My Lord Team |Published : December 10, 2024 6:21 PM IST

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में विवादास्पद टिप्पणी करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने पद की शपथ का उल्लंघन किया है और वह अन्य विपक्षी सांसदों के साथ मिलकर न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस देंगे. बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने 2018 में भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था और 1993 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश वी. रामास्वामी का बचाव भी किया था. जस्टिस रामास्वामी को वित्तीय अनियमितता के आरोपों को लेकर महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था.

जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी!

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है. सिब्बल का आरोप है कि जस्टिस यादव ने विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में विवादास्पद टिप्पणी कर पद की शपथ का उल्लंघन किया है.

कपिल सिब्बल ने कहा,

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‘‘कोई भी न्यायाधीश इस तरह का बयान देकर अपने पद की शपथ का उल्लंघन करता है. अगर वह पद की शपथ का उल्लंघन कर रहा है, तो उसे उस कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है.’’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा,

‘‘अगर एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश जब इस तरह का भाषण दे सकता है, तो सवाल उठता है कि ऐसे लोगों की नियुक्ति कैसे होती है. सवाल यह भी उठता है कि उन्हें इस तरह की टिप्पणी करने की हिम्मत कैसे मिलती है. सवाल यह भी उठता है कि पिछले 10 सालों में ये चीजें क्यों हो रही हैं.’’

सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास ऐसे लोगों को उस कुर्सी पर बैठने से रोकने का अधिकार है और तब तक यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनके सामने कोई मामला न आए.

SC ने भी जस्टिस से मांगा स्पष्टीकरण

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से इस बाबत विस्तृत ब्योरा मांगा है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर यादव को इस बयान पर स्पष्टीकरण देने को कहा है. इस मामले को शीर्ष अदालत ने अखबारों की रिपोर्टिंग के आधार पर संज्ञान लिया है. जस्टिस शेखर यादव ने विहिप के एक समारोह में कहा था कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है.

(खबर आईएएनएस की इनपुट के आधार पर है)