शादी के साल भर में तलाक मिलना संभव हैं?
हिंदू मैरिज एक्ट, 1991 की धारा 13 तलाक लेने के कारणों को बताती है, इस सेक्शन में तीसरा उपबंध बताती है कि तलाक को मान्यता तभी दी जा सकती है जब पति-पत्नी दोनों एक दूसरे से कम-से-कम दो साल, बिना सहमति के अलग रहे.
हिंदू मैरिज एक्ट, 1991 की धारा 13 तलाक लेने के कारणों को बताती है, इस सेक्शन में तीसरा उपबंध बताती है कि तलाक को मान्यता तभी दी जा सकती है जब पति-पत्नी दोनों एक दूसरे से कम-से-कम दो साल, बिना सहमति के अलग रहे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्नी के साथ क्रूरता का मामले को रद्द करने की मांग वाली पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला अमीर लोगों द्वारा कानून का उल्लंघन करने का एक उदाहरण है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पति का दूसरी महिला को घर में रखना और उससे बच्चा होना पत्नी के साथ घरेलु हिंसा है. साथ ही ऐसी स्थिति में पत्नी का अपना वैवाहिक घर छोड़ना उसे गुजारा भत्ता से वंचिक करने का आधार हीं हो सकता है.
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 महिलाओं को उनके घरों में हिंसा के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है. कानून घर के सदस्य द्वारा महिलाओं के साथ की जानेवाली दुर्व्यवहार पर रोक लगाती है, जिसमें महिलाओं को शारीरिक, मौखिक, भावनात्मक रूप से परेशान करना शामिल है.
प्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम,2005 हर महिला पर लागू होता है, चाहे वह महिला किसी भी धर्म की हो या किसी भी समाजिक परिपाटी से आती हो
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अंतरिम भरण-पोषण के लिए एक महिला के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम है.
घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अगर कोई मूल याचिका यानी ओरिजिनल पिटिशन दायर की जाती है तो क्या उसकी सुनवाई फैमिली कोर्ट्स द्वारा की जा सकती है? इस सवाल पर केरल उच्च न्यायालय जल्द परीक्षण करने वाली है...
ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिनमें एक जोड़ा शादी के बाद आपस में सामंजस्य नहीं बैठा पाता है और उनमें झगड़े भी होने लगते हैं और यह कई बार मारपीट तक पहुंच जाता हैं।
हाल ही में, मुंबई के एक कोर्ट ने एक डिवोर्स सेटलमेंट हेतु सुनवाई के दौरान यह कहा है कि टूटे रिश्तों से हुए भावनात्मक घाटे की भरपाई और एक खुशहाल जीवन के लिए पालतू जानवर रखना जरूरी है.
बंबई उच्च न्यायालय ने घरेलू हिंसा के मामले में एक याचिका को अनुमति देते हुए एक बेहद विशेष टिप्पणी की है। निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए उन्होंने कहा है कि डोमेस्टिक वायलेंस को 'नापा' नहीं जा सकता है, वो छोटा है या बड़ा, यह मायने नहीं रखता...
घरेलू हिंसा को लेकर दायर की गई एक याचिका को अनुमति देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है; अदालत का यह कहना है कि 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005' के तहत डोमेस्टिक वायलेंस पर कार्रवाई उसकी डिग्री देखकर नहीं होगी
पति पत्नी के बीच मार पीट आज कई घरों की कहानी बन गई है लेकिन क्या यह एक अपराध है आइए जानते हैं
चार दीवारों के बीच होने वाली पति-पत्नी के बीच मारपीट क्या है दंडनीय अपराध? जानें क्या कहता है कानून, इस मामले में किस तरह मिलता है पति या पत्नी को प्रोटेक्शन
शादी के बाद एक विवाहित महिला को प्रति क्रूरता वाला बर्ताव करने वाले को कानून के तहत क्या सजा मिलती है और इस कानून का फायदा उठाने वालों के साथ कैसे डील किया जाता है, जानिये यहां.
मोहम्मद शमी से अलग रह रही उनकी पत्नी हसीन जहां ने शमी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का किया रूख. जाने पूरा मामला
जनवरी 2023 में ही कोलकाता की एक सत्र अदालत ने क्रिकेटर शमी को अपनी पत्नी को प्रतिमाह 50,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था.
पति पत्नी के बीच विवादों के अधिक बढ़ जाने पर घरेलू हिंसा के केस अत्यंत चर्चित होते हैं। दो लोग साथ रहकर गृहस्थी बनाते हैं लेकिन आपसी झगड़ों के चलते विवाद इतना बढ़ जाता है की मार पीठ तक बात पहुंच जाती है.
पत्नी के साथ क्रूरता करने पर भारतीय दंड संहिता के तहत कारावास और जुर्माने से किया जाएगा दण्डित
ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिनमें एक जोड़ा शादी के बाद आपस में सामंजस्य नहीं बैठा पाता है और उनमें झगड़े भी होने लगते हैं और यह कई बार मारपीट तक पहुंच जाता हैं।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पति का दूसरी महिला को घर में रखना और उससे बच्चा होना पत्नी के साथ घरेलु हिंसा है. साथ ही ऐसी स्थिति में पत्नी का अपना वैवाहिक घर छोड़ना उसे गुजारा भत्ता से वंचिक करने का आधार हीं हो सकता है.
प्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम,2005 हर महिला पर लागू होता है, चाहे वह महिला किसी भी धर्म की हो या किसी भी समाजिक परिपाटी से आती हो
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अंतरिम भरण-पोषण के लिए एक महिला के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम है.
घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अगर कोई मूल याचिका यानी ओरिजिनल पिटिशन दायर की जाती है तो क्या उसकी सुनवाई फैमिली कोर्ट्स द्वारा की जा सकती है? इस सवाल पर केरल उच्च न्यायालय जल्द परीक्षण करने वाली है...
हाल ही में, मुंबई के एक कोर्ट ने एक डिवोर्स सेटलमेंट हेतु सुनवाई के दौरान यह कहा है कि टूटे रिश्तों से हुए भावनात्मक घाटे की भरपाई और एक खुशहाल जीवन के लिए पालतू जानवर रखना जरूरी है.
घरेलू हिंसा को लेकर दायर की गई एक याचिका को अनुमति देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है; अदालत का यह कहना है कि 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005' के तहत डोमेस्टिक वायलेंस पर कार्रवाई उसकी डिग्री देखकर नहीं होगी
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जनवरी 2023 में ही कोलकाता की एक सत्र अदालत ने क्रिकेटर शमी को अपनी पत्नी को प्रतिमाह 50,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था.
खाने में नमक कम हो तो मार पीट, पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी है तो नौकरी करने पर रोक, दहेज के नाम पर हत्या आदि इस तरह के अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
"महिला के रूप में पहचान के लिए लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने वाले किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को घरेलू हिंसा कानून के दायरे में पीड़ित मानना होगा.’’
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि जो मेंटेनेंस चाहता है वह CrPC की धारा 125 के तहत दूसरी याचिका दायर कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम बहुत विशिष्ट है और इसकी तुलना CrPC की धारा 125 से नहीं की जा सकती है.
जब किसी महिला को उसके परिवार का ही कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से चोट पहुंचाता है, उसकी गरिमा के साथ खिलवाड़ करता है, उनका अपमान करता है, उन्हे उनका हक नहीं देता या मानसिक रूप से परेशान करता तो ये सभी घरेलू हिंसा कहलाते हैं.