
घरेलु हिंसा में पति के परिवार को घसीटना
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में पति के कुछ परिवार के सदस्यों के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही को रद्द कर दिया है.

कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि पति के घरवालों के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराना कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग (Abuse of Judicial Process) है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट

घर में जो साथ रहते हैं
वहीं, आरोपी बनाने को लेकर अदालत ने कहा कि केवल वे लोग जो पीड़ित महिला के साथ घर में रहते हैं, उन्हें उत्पीड़न के लिए जबावदेही के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.

पति और उसकी मां को राहत नहीं!
हाई कोर्ट ने मामले में पति और सास के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही को बरकरार रखते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देश देते हुए कहा कि वे इस मामले को 60 दिन के भीतर सुलझा लें.

पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद
यह वैवाहिक विवाद पत्नी और उसके पति के बीच अनबन और झगड़े से शुरू हुआ था, जिसे लेकर पत्नी ने घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज कराया.

दहेज उत्पीड़न का मुकदमा रद्द कराने की मांग
जिसे रद्द कराने की मांग को लेकर पति, उसकी मां और पांच अन्य रिश्तेदारों ने मुकदमे को रद्द करने की मांग की है.

हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला
अदालत ने रिश्तेदारों के खिलाफ मुकदमे को रद्द करते हुए पति और उसकी मां के खिलाफ मुकदमे को बरकरार रखा है.