Zero FIR क्या है? भारतीय न्याय संहिता में इसका जिक्र कहां आता है?
Zero FIR का कॉन्सेप्ट है कि घटना की शिकायत किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जा सकती है. भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 173 में Zero FIR का जिक्र आता है.
Zero FIR का कॉन्सेप्ट है कि घटना की शिकायत किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जा सकती है. भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 173 में Zero FIR का जिक्र आता है.
इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया गया है. जिसके चलते अब हत्या के मामले को IPC सेक्शन 302 की जगह BNS सेक्शन 102 में दर्ज की जाएगी.
भारतीय न्याय संहिता में दिल्ली पुलिस ने रेहड़ी वाले के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज किया है. रेहड़ी वाले के खिलाफ पुलिस ने BNS सेक्शन 285 के तहत मामला दर्ज किया है.
इंडियन पीनल कोड की जगह आज से भारतीय न्याय संहिता देश भर में लागू हो चुका है. पहले चोर को लोग आम बोलचाल की भाषा में 420 कह देते थे, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 'चोरी' के मामले से निपटने वाली धारा अब 318 हो गई है.
भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद पहला मुकदमा सेंट्रल दिल्ली के कमला थाने मार्किट में BNS Section 285 ( सार्वजनिक मार्ग पर बाधा उत्पन्न करने) में दर्ज हुई है.
1 जुलाई यानि आज से देश में तीन नए अपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं. कुछ लोगों के अनुसार, अंग्रेजी राज से छुटकारा पाना है, तो कुछ जगहों पर स्वदेशी कानून आने की खुशी है. आइये जानते हैं तीन अपराधिक कानून में किन-किन नियमों में बदलाव हुए है...
आइये हम आपको नए अपराधिक कानून के बारे में बताएं जिसमें न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के डिजिटल उपकरणों को बढ़ावा दिया गया है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पीडी ट्रायल के संभव होने पर चिंता जाहिर की. सीजेआई ने बताया कि नये कानून के लागू होने के बाद भी अपराधिक मुकदमों का स्पीडी ट्रायल से निपटारा संभव नहीं है. स्पीडी ट्रायल के संभव होने के लिए अदालतों को उचित संसाधनों को मुहैया कराने की जरूरत होगी.
भारत सरकार अपराध और अपराधियों पर रोक लगाने के लिए आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता को लागू करने जा रही है. जानिए BNS और IPC में क्या अंतर है और इस नए कानून के मुख्य प्रावधान क्या हैं..
सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को चुनौती देने वाली PIL को खारिज किया है. जानें अदालत ने क्या कहा..