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Supreme Court ने खारिज की IPC की जगह लेने वाले नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर PIL, कहा- पहले लागू तो होने दीजिए

सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को चुनौती देने वाली PIL को खारिज किया है. जानें अदालत ने क्या कहा..

Written by My Lord Team |Published : February 26, 2024 5:43 PM IST

तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyay Sanhita) जो आईपीसी (IPC) की जगह, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita) जो सीआरपीसी (CrPC) की जगह और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bhartiya Sakshya Adhiniyam) जो एविडेंस एक्ट (The Evidence Act) की जगह, एक जुलाई से लागू होने वाले हैं. इन तीनों कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में एक PIL के जरिए चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस PIL को खारिज किया है. जानें मामला क्या था और अदालत ने क्या कहा है..

बेंच ने खारिज की याचिका 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस PIL को सुना. बेंच ने याचिकाकर्ता की मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये कानून अभी लागू नहीं हुए है. ऐसा कहकर PIL को खारिज की.

Hit & Run से जुड़ी धारा नहीं होगी लागू

भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 की उप-धारा (2), जो 'तेज और लापरवाही से वाहन चलाने से किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनने' से जुड़ी है, को फिलहाल रोक दिया गया है।

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चर्चा में है तीनों कानून

भारत सरकार ने राजपत्र के जरिए अधिसूचना (Notification) जारी की है, जिसमें कहा गया कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई, 2024 से लागू होंगे. 

IPC की जगह BNS

नए कानून में IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू होगी. इसमें 358 धाराएं होंगी. वहीं IPC में 511 धाराएं थी. साथ ही BNS में 21 नए अपराधों को सम्मिलित किया गया है. 

CrPC की जगह BNSS

अपराधिक मामलों की कार्यवाही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत होगी. CrPC में 484 धाराएं थी. वहीं, BNSS में 531 धाराएं होंगी. नए कानून में CrPC की 177 धाराओं को बदला गया है. साथ ही 9 नए धाराओं को जोड़ा गया है. वहीं CrPC में मौजूद 14 धाराओं को हटाया भी गया है.

IEA में अब 170 धाराएं 

भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराएं होंगी. अभी इस कानून में 166 धाराएं मौजूद हैं. इस कानून के तहत मुकदमें के सबूतों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होगी, यह सब अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत ही दर्ज होगी.