जस्टिस बेला एम त्रिवेदी द्वारा सुनाए गए पांच ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी चार साल तक सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में सेवा दी. इस दौरान वे 238 बेंचों का हिस्सा बनी और 79 मामलों में फैसला लिखा है. आइये जानते हैं उनमें से पांच जजमेंट को...
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी चार साल तक सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में सेवा दी. इस दौरान वे 238 बेंचों का हिस्सा बनी और 79 मामलों में फैसला लिखा है. आइये जानते हैं उनमें से पांच जजमेंट को...
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अपने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बार एसोसिएशन को लिखे पत्र में कहा कि इतने उच्च पद पर स्थापित जस्टिस को सम्मानजनक विदाई नहीं देना संस्थागत मूल्यों पर सवाल उठाता है.
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, 75 साल में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने वाली दसवीं महिला न्यायाधीश, आज सेवानिवृत्त हुईं.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने आज अपने ज्यूडिशियल सर्विस का लास्ट वर्किंग डे चुना, जबकि उनकी आधिकारिक रिटायरमेंट डे 9 जून, 2025 को है.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि यह मेरे लिए दुखद है कि करियर के अंत में मुझे इस तरह से कठोर कदम उठाने पड़ रहे हैं, लेकिन मैं इन गलतियों पर आंखें नहीं मूंद सकती. किसी को संस्थान की परवाह नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट Justice Bela M Trivedi का नाम Limca Book Of Records में साल 1996 में शामिल हुआ, जब जस्टिस त्रिवेदी सिटी सेशन कोर्ट की जज बनाई गई. City Civil and Session में उनके पिता पहले से ही जज के तौर पर नियुक्त थे.
जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी ने संविधान के अनुच्छेद 341 का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जातियों की सूची राष्ट्रपति की स्वीकृति से बनाई जाती है. जस्टिस की इस अस्वीकृति की लोगों में चर्चा है. ऐसे में जस्टिस बेला त्रिवेदी की शैक्षणिक योग्यता, वे किस संस्थान से पढ़ी है आदि हम आपको बताने जा रहे हैं.
लिम्का बुक ऑफ इंडियन रिकॉर्ड्स ने अपने 1996 संस्करण में यह प्रविष्टि दर्ज की है कि “पिता-पुत्री एक ही अदालत में जज हैं. आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के कैरियर के बारे में..
22 मई से 03 जुलाई तक Supreme Court में 6 सप्ताह का ग्रीष्मकालीन अवकाश रहेगा.पिछले वर्ष की तुलना इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट के ग्रीष्मकालीन अवकाश में एक सप्ताह की छूट्टियां कम कर दी गयी है.अवकाश के प्रथम सप्ताह में शनिवार-रविवार को भी वेकेशन बेंचे सुनवाई करेगी.
Supreme Court ने Gwalior Development Authority को राहत देते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है.लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने Gwalior Development Authority को इस बात के लिए भी फटकार लगाई की निविदा की शर्ते तोड़ने और डिफ़ॉल्ट पर होने पर प्रतिवादी का दावा जब्त नहीं करने की अनुमति क्यों दी.
Supreme Court ने अतीक अहमद की याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन उसे इस मामले में Allahabad High Court के समक्ष याचिका दायर करने की छूट दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी के जेल से रिहा होन के बाद हत्या करने के तर्क को भी खारिज करते हुए कहा कि "यहां तक कि अगर एक घटना, जिसका मौजूदा मामले से कोई संबंध नहीं है, फैसले की घोषणा के बाद हुई थी, जो समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने का आधार नहीं हो सकती.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अपने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बार एसोसिएशन को लिखे पत्र में कहा कि इतने उच्च पद पर स्थापित जस्टिस को सम्मानजनक विदाई नहीं देना संस्थागत मूल्यों पर सवाल उठाता है.
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, 75 साल में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने वाली दसवीं महिला न्यायाधीश, आज सेवानिवृत्त हुईं.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने आज अपने ज्यूडिशियल सर्विस का लास्ट वर्किंग डे चुना, जबकि उनकी आधिकारिक रिटायरमेंट डे 9 जून, 2025 को है.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि यह मेरे लिए दुखद है कि करियर के अंत में मुझे इस तरह से कठोर कदम उठाने पड़ रहे हैं, लेकिन मैं इन गलतियों पर आंखें नहीं मूंद सकती. किसी को संस्थान की परवाह नहीं है.
22 मई से 03 जुलाई तक Supreme Court में 6 सप्ताह का ग्रीष्मकालीन अवकाश रहेगा.पिछले वर्ष की तुलना इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट के ग्रीष्मकालीन अवकाश में एक सप्ताह की छूट्टियां कम कर दी गयी है.अवकाश के प्रथम सप्ताह में शनिवार-रविवार को भी वेकेशन बेंचे सुनवाई करेगी.
Supreme Court ने Gwalior Development Authority को राहत देते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है.लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने Gwalior Development Authority को इस बात के लिए भी फटकार लगाई की निविदा की शर्ते तोड़ने और डिफ़ॉल्ट पर होने पर प्रतिवादी का दावा जब्त नहीं करने की अनुमति क्यों दी.
Supreme Court ने अतीक अहमद की याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन उसे इस मामले में Allahabad High Court के समक्ष याचिका दायर करने की छूट दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी के जेल से रिहा होन के बाद हत्या करने के तर्क को भी खारिज करते हुए कहा कि "यहां तक कि अगर एक घटना, जिसका मौजूदा मामले से कोई संबंध नहीं है, फैसले की घोषणा के बाद हुई थी, जो समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने का आधार नहीं हो सकती.