Advertisement

क्या SCBA और SCAORA परंपरा का पालन करेंगे? Justice Bela Trivedi को सम्मानजनक विदाई देने के लिए BCI ने लिखी चिट्ठी

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अपने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बार एसोसिएशन को लिखे पत्र में कहा कि इतने उच्च पद पर स्थापित जस्टिस को सम्मानजनक विदाई नहीं देना संस्थागत मूल्यों पर सवाल उठाता है.

Justice Bela M Trivedi, Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Published : May 16, 2025 8:25 PM IST

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने अपने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बार एसोसिएशन (SCAORA) को लिखे पत्र में कहा कि इतने उच्च पद पर स्थापित जस्टिस को सम्मानजनक विदाई नहीं देना संस्थागत मूल्यों पर सवाल उठाता है. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी का आज आखिरी कार्यदिवस है. उनके विदाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुबह में सेरेमोनियल बेंच आयोजित किया था. इस बेंच में सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एजी मसीह शामिल थे. इस समारोह में एससीबीए के प्रेसिडेंट कपिल सिब्बल और वाइस-प्रेसिडेंट रचना श्रीवास्तव भी शामिल हुई थी.

BCI ने लिखी चिट्ठी

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट व राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने एससीबीए और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट चिट्ठी लिखकर चली आ रही परंपरा का निर्वहन करने का अनुरोध किया है. बीसीआई ने आज ही जस्टिस के सम्मान में फेयरवेल समारोह आयोजित करने का अनुरोध किया है.

BCI ने स्पष्ट कहा,

Also Read

More News

 "एक ऐसे न्यायाधीश को विदाई न देना, जो अपने क्षेत्र में उच्चतम मानकों को स्थापित करता है, संस्थागत मूल्यों पर सवाल उठाता है. जस्टिस बेला एम  त्रिवेदी ने अपनी न्यायिक यात्रा में न्याय, समानता और सत्यनिष्ठा के सिद्धांतों का पालन किया है. उनके योगदान को नजरअंदाज करना न केवल उनके प्रति अन्याय है, बल्कि न्यायपालिका के मूल सिद्धांतों को भी कमजोर करता है."

BCI ने SCBA और SCAORA की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया है. ये संगठन न केवल कानूनी पेशेवरों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, बल्कि वे न्यायपालिका की गरिमा और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं. BCI का कहना है कि यदि SCBA और SCAORA जस्टिस त्रिवेदी को विदाई देने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हैं, तो यह उनके लिए एक सम्मानजनक कदम होगा.

'वकील उपभोक्ता संरक्षण के अंतर्गत नहीं आते'

BCI ने कहा कि जस्टिस त्रिवेदी ने DK गांधी मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया था कि वकीलों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत सेवा की कमी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. इस निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि पेशेवरों को व्यापार करने वाले व्यक्तियों से अलग तरीके से देखा जाना चाहिए. यह निर्णय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इसे सराहा जाना चाहिए. BCI ने SCBA और SCAORA से आग्रह किया है कि वे न्यायपालिका की परंपराओं का संरक्षण करें और जस्टिस त्रिवेदी के प्रति सम्मान प्रकट करें. विदाई समारोह केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह उन परंपराओं और सिद्धांतों का पुनः पुष्टि है जो न्यायपालिका को परिभाषित करते हैं.