सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बेला एम त्रिवेदी का आज आखिरी वर्किंग डे है. उनकी ऑफिसियल रिटायरमेंट डे 9 जून, 2025 है, लेकिन उन्होंने आज अपना अंतिम कार्य दिवस चुना. उनके सम्मान में आज सीजेआई बीआर गवई की अगुवाई में फेयरवेल सेरेमनी आयोजित की गई. इस दौरान सीजेआई ने जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेहद तारीफ की, उनके कामों की भाव-भीनी प्रशंसा की. इस सेरमोनियल बेंच में सुप्रीम कोर्ट के सभी जज और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट कपिल सिब्बल और वाइस-प्रेसिडेंट रचना श्रीवास्तव मौजूद रहीं.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की विदाई समारोह में सीजेआई बीआर गवई ने जस्टिस के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि जस्टिस बेला त्रिवेदी ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण मामलों का निपटारा किया है. उन्होंने अपने फैसलों से न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है.
CJI ने कहा,
" जस्टिस बेला एम त्रिवेदी मामलों की सुनवाई में हमेशा निष्पक्ष रहीं, वह शुरूआत से ही अपने कठोर परिश्रम और ईमानदारी के लिए जानी जाती हैं. जस्टिस त्रिवेदी, आप हमारी न्यायपालिका के लिए बेहद बहुमूल्य हैं, आपको ढ़ेर सारी शुभकामनाएं.
इस दौरान सीजेआई ने एसोसिशन के सदस्यों के शामिल नहीं होने पर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने साफ कहा कि एसोसिएशन के सदस्यों का यह बर्ताव शोभा नहीं देता है.
CJI ने कहा,
"जज अलग-अलग स्वभाव के होतें है. लेकिन उनके स्वभाव के आधार पर उनके सम्मान को इंकार करना एक गलत तरीका है."
सीजेआई ने आगे कहा कि विदाई समारोह न केवल एक न्यायाधीश के कार्यकाल का सम्मान है, बल्कि यह न्यायपालिका की गरिमा को भी दर्शाता है. CJI गवाई ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे अवसरों पर सभी को एकजुट होकर सम्मान प्रकट करना चाहिए. उन्होंने जोड़ दिया कि इस प्रकार के समारोह न्यायपालिका की एकता और गरिमा को बढ़ाते हैं. विदाई समारोह में मौजूद जस्टिस एजी मसीह ने भी सीजेआई के वक्तव्यों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि परंपरा का निर्वहन किया जाना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि ये परंपरा जारी रखी जाएगी.
सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट कपिल सिब्बल और वाइस-प्रेसिडेंट रचना श्रीवास्तव की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने सदस्यों की गैर-मौजूदगी के बाद भी इस सभा में मौजूद रहें. इसलिए उनकी तारीफ करना बेहद जरूरी है. वहीं, सीजेआई स्पष्ट कहा कि एसोसिएशन के सदस्यों का ऐसा करना अनुचित है.
इसके पीछे की एक वजह बताई जा रही है कि हाल ही में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने एक फेक वकालतनामा के आधार दायर झूठी एसएलपी दाखिल करने के आरोप में वकीलों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश है. इस मामले में जस्टिस ने वकीलों के माफीनामे को भी स्वीकार करने से इंकार किया.
अपने विदाई समारोह में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने मौजूद सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि उन्होंने हमेशा अपने अंतःकरण के अनुसार कार्य किया. जस्टिस ने आगे कहा, जज विभिन्न पृष्ठभूमि से सर्वोच्च न्यायालय में आते हैं, और न्याय के अपने-अपने विचार रखते हैं. यह बहुआयामीता सर्वोच्च न्यायालय की ताकत है, जो न्यायाधीशों की लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रता को दर्शाती है. फिर भी, संस्थागत एकता अधिक महत्वपूर्ण है.