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Limca Book Of Record में नाम, सशक्त फैसलों के लिए प्रसिद्ध, 75 सालों में सुप्रीम कोर्ट की दसवीं महिला जज Justice Bela M Trivedi आज रिटायर हुई

जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, 75 साल में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने वाली दसवीं महिला न्यायाधीश, आज सेवानिवृत्त हुईं.

Justice Bela M Trivedi, Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Published : May 16, 2025 5:11 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के 75 साल के इतिहास में इस न्यायालय में पदोन्नत होने वाली दसवीं महिला जज न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी शुक्रवार को सेवानिवृत्त हुई.  सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर उनका कार्यकाल साढ़े तीन साल का रहा. आज (शुक्रवार को) जस्टिस बेला एम त्रिवेदी चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली औपचारिक पीठ में शामिल रहीं, जो शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने की परंपरा है.

75 सालों में दसवीं SC महिला जज

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी को 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. तब तीन महिलाओं सहित रिकॉर्ड नौ नए जजों के पद की शपथ दिलाई थी. इन सालों में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी शीर्ष न्यायालय के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहीं. उन्हें जुलाई 1995 में गुजरात में एक निचली अदालत के जज के रूप में शुरुआत करने के बाद शीर्ष न्यायालय में पदोन्नत होने का गौरव प्राप्त हुआ.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी जस्टिस त्रिवेदी के परिचय में कहा गया कि जब उनकी (न्यायमूर्ति त्रिवेदी) नियुक्ति हुई, तब उनके पिता पहले से ही शहर की सिविल एवं सत्र अदालत में न्यायाधीश के रूप में काम कर रहे थे. लिम्का बुक ऑफ इंडियन रिकॉर्ड्स ने 1996 के अपने संस्करण में यह प्रविष्टि दर्ज की है कि ‘पिता-पुत्री एक ही अदालत में न्यायाधीश हैं’.

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जजमेंट, जिसमें जस्टिस बेला एम त्रिवेदी शामिल रहीं

वह पांच न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थीं, जिसने 3:2 के बहुमत से नवंबर 2022 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखा, जिसके दायरे से एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणियों के गरीबों को बाहर रखा गया था.

सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ, जिसमें जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल थीं, ने अगस्त 2024 में 6:1 के बहुमत से माना कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है. हालांकि, न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने अपने 85 पन्नों के असहमति वाले फैसले में कहा कि केवल संसद ही किसी जाति को एससी सूची में शामिल कर सकती है या उसे बाहर कर सकती है, और राज्यों को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है.

गुजरात HC से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर

उत्तरी गुजरात के पाटन में 10 जून, 1960 को जन्मी बेला त्रिवेदी ने लगभग 10 वर्षों तक गुजरात हाई कोर्ट में वकील के रूप में काम किया. 10 जुलाई, 1995 को उन्हें अहमदाबाद में निचली अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्होंने उच्च न्यायालय में रजिस्ट्रार (विजिलेंस) और गुजरात सरकार में विधि सचिव जैसे विभिन्न पदों पर काम किया. सत्रह फरवरी, 2011 को उन्हें गुजरात हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. जस्टिस त्रिवेदी को राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्होंने जून 2011 से फरवरी 2016 में मूल हाई कोर्ट में वापस भेजे जाने तक काम किया.