हत्या मामले से जुड़ा था IPC सेक्शन 302, बदलकर BNS की धारा102 हो गया
इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया गया है. जिसके चलते अब हत्या के मामले को IPC सेक्शन 302 की जगह BNS सेक्शन 102 में दर्ज की जाएगी.
इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया गया है. जिसके चलते अब हत्या के मामले को IPC सेक्शन 302 की जगह BNS सेक्शन 102 में दर्ज की जाएगी.
इंडियन पीनल कोड की जगह आज से भारतीय न्याय संहिता देश भर में लागू हो चुका है. पहले चोर को लोग आम बोलचाल की भाषा में 420 कह देते थे, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 'चोरी' के मामले से निपटने वाली धारा अब 318 हो गई है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 182 में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से कोई व्यक्ति लोक सेवक को झूठी सूचना देता है, तो इसे एक दंडनीय अपराध माना जाएगा. आइए इस धारा के उद्देश्य और इसमें मिलने वाली सजा को विस्तार से समझते हैं...
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की याचिका रद्द कर दी जिसमें उसने तीन लोगों पर अपहरण कर पत्नी के साथ जबरदस्ती संबंध के आरोप लगाया था. पत्नी के बयान के बाद कोर्ट ने पति की याचिका खारिज की. आइये जानते हैं कि पत्नी ने ऐसा क्या कहा कि पति के खिलाफ फैसला सुनाया.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार से कुचलकर आवारा कुत्ते को मारने के आरोपी छात्र के खिलाफ हुए एफआईआर को रद्द कर दिया. कोर्ट ने ऐसा संविधान के आर्टकल 226 के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग कर किया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगमोहन सिंह की अदालत ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा मामले में बलात्कार का अपराध नहीं बनता है क्योंकि आरोपी और पीड़िता कानूनी रूप से विवाहित हैं।’’
संपत्ति विवाद के एक मामले को खारिज करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यह कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम और भारतीय दंड संहिता का दुरुपयोग बहुत बढ़ गया है और यह दुरुपयोग आपराधिक न्याय प्रणाली को अवरुद्ध कर रहा है...
संविधान द्वारा पहले बनी ऐसी विधियां उस सीमा तक वैध नहीं होती हैं जिस सीमा तक वे मूल अधिकारों से असंगत होती है, ऐसी विधियां आरंभ से ही शून्य अथवा अवैध नहीं होती अपितु वे मूल अधिकारों द्वारा आच्छादित हो जाती है ऐसी विधियां मृत प्राय नहीं होकर सुषुप्त अवस्था में रहती हैं.
एक मामले में सुनवाई के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) का यह कहना है कि एक पति यदि अपनी पत्नी को इसलिए अपमानित करता है क्योंकि उसकी त्वचा का रंग काला है, तो इसे क्रूरता माना जाएगा...
भारतीय दंड संहिता के तहत जब किसी व्यक्ति को जो बलात्कार के अपराध में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो सबसे पहले उसका मेडिकल परीक्षण करवाया जाता है। इसके साथ साथ पीड़िता का भी मेडिकल परीक्षण कराया जाता है। बलात्कार के अपराध में मेडिकल परीक्षण का आखिर क्या महत्त्व होता है आइये जानते है
इस समस्या से निपटने के लिए शीघ्रता से न्याय की प्रक्रिया को निपटाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 21 के तहत एक अभूतपूर्व उपबंध संक्षिप्त विचारण (summary Trial) को रखा गया है। इस अध्याय में धारा 260 से लेकर धारा 265 तक संक्षिप्त विचारण के संबंध में प्रक्रिया को बताया गया है।
ऐसे कई अपराध हैं जिनमें अदालत दोषी को कुछ महीनों या सालों के लिए नहीं बल्कि आजीवन कारावास की सजा सुनाती है। 'लाइफ इम्प्रिजनमेंट' को लेकर क्या कानून हैं, इसकी अवधि को लेकर अक्सर कन्फ़्यूजन क्यों होता है और यहां 'रेमिशन' का इस्तेमाल किस संदर्भ में किया जाता है, आइए जानते हैं...
एक मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया जिसमें एक महिला ने अपने पति को छड़ी से इतना मारा कि उसकी हत्या हो गई। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने यह कहा कि घर में छड़ी को एक घातक हथियार नहीं माना जा सकता है; साथ ही, उनके हिसाब से मामला हत्या नहीं गैर-इरादतन हत्या का है...
इस मामले में महिला ने अपने पति को छड़ी से इतना मारा कि उसकी हत्या हो गई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि घर में छड़ी को एक घातक हथियार नहीं माना जा सकता है, साथ ही, यह भी कहा कि उनके हिसाब से मामला हत्या नहीं गैर-इरादतन हत्या का है.
किसी अपराध के खिलाफ अगर आप पुलिस में शिकायत करते हैं और एफआईआर दर्ज करने के बाद अगर पुलिस अधिकारी उसपर कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं करते हैं तो आपको आगे क्या करना चाहिए और एक्शन न लेने पर पुलिस के खिलाफ सजा का क्या प्रावधान है, जानिए...
धमीचा कॉर्डेलिया क्रूज जहाज पर छापेमारी के बाद तीन अक्टूबर 2021 को आर्यन खान के साथ एनसीबी द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल थीं
केरल की एक अदालत ने एक फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी की है; अदालत ने कहा है कि यदि कोई शख्स बिना किसी 'लस्टफुल इंटेंशन' के महिला का हाथ पकड़ता है या उसे धमकाता है तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत दंडनीय नहीं है..
भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई घटनाओं को अपराध की श्रेणी में डाला गया है; ऐसे में वैवाहिक बलात्कार देश में एक दंडनीय अपराध क्यों नहीं है? कानून में इसके बारे में क्या कहा गया है और यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय क्यों है, जानिए...
भारतीय दंड संहिता की धारा 182 में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से कोई व्यक्ति लोक सेवक को झूठी सूचना देता है, तो इसे एक दंडनीय अपराध माना जाएगा. आइए इस धारा के उद्देश्य और इसमें मिलने वाली सजा को विस्तार से समझते हैं...
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की याचिका रद्द कर दी जिसमें उसने तीन लोगों पर अपहरण कर पत्नी के साथ जबरदस्ती संबंध के आरोप लगाया था. पत्नी के बयान के बाद कोर्ट ने पति की याचिका खारिज की. आइये जानते हैं कि पत्नी ने ऐसा क्या कहा कि पति के खिलाफ फैसला सुनाया.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार से कुचलकर आवारा कुत्ते को मारने के आरोपी छात्र के खिलाफ हुए एफआईआर को रद्द कर दिया. कोर्ट ने ऐसा संविधान के आर्टकल 226 के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग कर किया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगमोहन सिंह की अदालत ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा मामले में बलात्कार का अपराध नहीं बनता है क्योंकि आरोपी और पीड़िता कानूनी रूप से विवाहित हैं।’’
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ऐसे कई अपराध हैं जिनमें अदालत दोषी को कुछ महीनों या सालों के लिए नहीं बल्कि आजीवन कारावास की सजा सुनाती है। 'लाइफ इम्प्रिजनमेंट' को लेकर क्या कानून हैं, इसकी अवधि को लेकर अक्सर कन्फ़्यूजन क्यों होता है और यहां 'रेमिशन' का इस्तेमाल किस संदर्भ में किया जाता है, आइए जानते हैं...
इस मामले में महिला ने अपने पति को छड़ी से इतना मारा कि उसकी हत्या हो गई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि घर में छड़ी को एक घातक हथियार नहीं माना जा सकता है, साथ ही, यह भी कहा कि उनके हिसाब से मामला हत्या नहीं गैर-इरादतन हत्या का है.
किसी अपराध के खिलाफ अगर आप पुलिस में शिकायत करते हैं और एफआईआर दर्ज करने के बाद अगर पुलिस अधिकारी उसपर कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं करते हैं तो आपको आगे क्या करना चाहिए और एक्शन न लेने पर पुलिस के खिलाफ सजा का क्या प्रावधान है, जानिए...
धमीचा कॉर्डेलिया क्रूज जहाज पर छापेमारी के बाद तीन अक्टूबर 2021 को आर्यन खान के साथ एनसीबी द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल थीं
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आज भारत में सिविल और क्रिमिनल मामलों के निपटारे के लिए निचली अदालत, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय की सुविधा है। जानिए कि स्वतंत्रता से पहले, भारत में आपराधिक मामलों का निपटारा किस तरह होता था, 1947 से पहले भारत में न्यायिक व्यवस्था कैसी थी...
दुनिया में सबसे अमानवीय अपराधों में से एक है ऐसिड अटैक। इस तरह के कई मामले हार साल देश में घटित होते हैं, अतः विस्तार से समझते हैं कि इस अपराध के खिलाफ देश में क्या हैं कानून के तहत प्रावधान.
महिलाओं के पास गर्भपात कराने का अधिकार है या नहीं, यह डिबेट का एक बहुत बड़ा मुद्दा है। क्या भारत में अबॉर्शन करवाना लीगल है? वो कौन सी स्थितियां हैं जिनमें गर्भपात करवाया जा सकता है, कानून इस बारे में क्या कहता है, जानिए...
भारतीय संविधान हर नागरिक को अनुच्छेद 19 के तहत 'भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी' प्रदान करता है लेकिन इस आजादी की एक सीमा होती है। यह सीमा क्या है और अभिव्यक्ति की आजादी कब, राजद्रोह में तब्दील हो जाती है, जानिए...