भारतीय दंड संहिता के तहत जब किसी व्यक्ति को बलात्कार के अपराध में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो सबसे पहले उसका मेडिकल परीक्षण करवाया जाता है। इसके साथ-साथ पीड़िता का भी मेडिकल परीक्षण कराया जाता है। बलात्कार के अपराध में मेडिकल परीक्षण का आखिर क्या महत्त्व होता है, आइये जानते हैं
Source: my-lord.inइस धारा के तहत जब किसी महिला पर बलात्कार जैसा अपराध हुआ हो या इसकी कोशिश की गई हो तो एसे मामले में अन्वेषण के समय पीड़िता का मेडिकल परीक्षण किया जाता है
Source: my-lord.inइस तरह के मेडिकल एग्जैमिनेशन पीड़िता की सहमति से किए जाते हैं; यदि पीड़िता सहमति देने की परिस्थिति में नहीं है यानि वो नाबालिग है या मानसिक रुप से विक्षिप्त है, तो फिर एग्जैमिनेशन पीड़िता से संबंध रखने वाले किसी सक्षम व्यक्ति की सहमति से किया जाता है
Source: my-lord.inसक्षम व्यक्ति यानि पीड़िता का पति, माता-पिता, अथवा परिजन, भी हो सकते हैं; जिससे आगे चलकर यह आरोप लगाए जाएं कि परीक्षण पीड़िता की सहमति से नहीं हुआ था तो न्यायालय को यकीन दिलाया जा सके कि पीड़िता के रिश्तेदारों के माध्यम से उनकी सहमति थी। इस तरह के सहमति दर्शाने के लिए खास तरह का फोर्म भरा जाता है जिसपर पीड़िता के एक गवाह के समक्ष हस्ताक्षर लिए जाते हैं
Source: my-lord.inजब किसी व्यक्ति को बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि उस व्यक्ति की जांच करने से ऐसे अपराध के घटित होने का सबूत मिलेगा, तो यह कानूनी रुप से आवश्यक होगा कि किसी अस्पताल में कार्यरत पंजीकृत चिकित्सक अधिकारी द्वारा उसका मेडिकल एग्जैमिनेशन कराया जाए
Source: my-lord.inजब कभी भी ऐसा मामला बनता है तो वहां पर वह रजिस्टर्ड चिकित्सा व्यवसायी बिना किसी विलंब के, उसके शरीर की परीक्षा करेगा और एक परीक्षा रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें कि वो स्त्री का, और उस व्यक्ति का, जो उसे लाया है, इसका नाम और पता स्त्री की उम्र और डीएनए प्रोफाइल करने के लिए स्त्री के शरीर से ली गई सामग्री का वर्णन करेगा
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