मुस्लिम महिलाओं को पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं अपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार रखती है.
. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं अपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार रखती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं अपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार रखती है. सीआरपीसी की धारा 125 धर्मनिरपेक्ष होते हुए मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होगी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में पीड़िता ने आर्टिकल 361 का जिक्र किया है. साथ ही राज्यपाल को मिली इम्युनिटी या विशेष छूट को लेकर दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है.
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि माता-पिता का प्रेम और चिंता बालिग बच्चे के साथी चुनने के अधिकार को सीमित नहीं कर सकती है. अदालत ने कहा, माता-पिता का प्रेम या चिंता एक बालिग के विवाह के लिए साथी चुनने के अधिकार को बाधित नहीं कर सकती है.
नियोक्ता (Employer) को गर्भवती कामकाजी महिलाओं के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को महिला को मेटरनिटी लीव नहीं देने पर फटकार लगाई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम युवक द्वारा हिंदू युवती के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने देने की मांग को मानने से इंकार किया है. कोर्ट ने हिंदू युवती को पैरेंट्स के पास भेज दिया गया है.
केरल की एक मुस्लिम महिला ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत अपनी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. यह दिलचस्प है कि महिला ने मुस्लिम पर्सनल लॉ की जगह हिंदू कानूनों के तहत यह मांग की है.
पुलिस ने गैंग रेप पीड़िता के बयान के आधार पर राजस्थान मजिस्ट्रेट के खिलाफ SC/ST सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है. मजिस्ट्रेट पर दलित पीड़िता के साथ बदसलूकी करने का आरोप लगा है.
हाल ही में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महिला को जमानत देने से इंकार किया है. महिला पर एक व्यक्ति से पैसे वसूलने और उसकी दुकान में तोड़फोड़ करने का आरोप हैं. साथ ही सुनवाई में महिला द्वारा पांच रेप केस करने का मामला भी उठा. आइये जानते हैं पूरा विवाद....
अक्सर कंपनियां महिलाओं को मैटरनिटी लीव देने से बचती है. विश्व महिला दिवस के दिन मैटरनिटी लीव संशोधित अधिनियम के बारे में आसान शब्दों में जानिए, हर मुद्दे व प्रावधान को….
सुप्रीम कोर्ट ने विवाहित महिला द्वारा दायर दुष्कर्म के मामले को खारिज किया है. कोर्ट ने पाया कि आरोपी द्वारा वादे से मुकरने के बाद महिला ने यह प्राथमिकी दर्ज कराई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेल मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा कि रेलवे परिसर और चलती ट्रेनों में महिलाओं के साथ होने वाली दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित 44-वर्षीय महिला की सरोगेसी से मां बनने की मांग वाली याचिका को खारिज कर कहा देश में शादी जैसे संस्थान को बचाने की जरूरत है. जानें ये पूरा मामला...
भारत में मृत्युदंड सिर्फ बेहद गंभीर अपराधों के लिए 'सबसे दुर्लभ मामलों' में दिया जाता है। अगर किसी महिला को मृत्युदंड दिया जा रहा है और वो गर्भवती है तो क्या होता है? कानून इस बारे में क्या कहता है, आइए जानते हैं..
केरल की एक अदालत ने एक फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी की है; अदालत ने कहा है कि यदि कोई शख्स बिना किसी 'लस्टफुल इंटेंशन' के महिला का हाथ पकड़ता है या उसे धमकाता है तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत दंडनीय नहीं है..
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक हिंदू युवती को हरिद्वार के पिरान कलियर में नमाज पढ़ने की अनुमति देते हुए पुलिस को उसकी सुरक्षा देने का आदेश दिया है.
Uttarakhand High Court ने स्थानीय हरिद्वार पुलिस को युवती के नमाज पढने के लिए जरूरी इंतजाम और सुरक्षा करने के आदेश दिए है. कोर्ट ने स्थानीय एसएचओं को उचित इंतजाम करने के आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 मई को तय की है.
Gauhati High Court ने श्रीनिवास बीवी केा अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज करने के साथ ही उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द करने से इंकार कर दिया है.
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भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अनुसार शील भंग करना एक गंभीर अपराध है. इस तरह के अपराध को संज्ञेय, गैर - जमानती और गैर शमनीय माना जाता है.शील महिलाओं की वो भावना है जो एक महिला होने के नाते वो महसूस करती है.
हमारे देश में महिलाओं के सम्मान को बनाए रखने के लिए यूं तो संविधान के तहत कई अधिकार दिए गए है. लेकिन उनके अतिरिक्त, गिरफ्तारी के दौरान महिला की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए CrPC में कई प्रावधान किए गए है.
जामनगर से ताल्लुक रखने वाली जस्टिस गोकानी 25 फरवरी को सेवानिवृत्त (Retire) होने वाली है. इसलिए वह केवल 12 दिन के लिए के लिए गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेगी. देश के न्यायिक इतिहास में गुजरात हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बनने वाली वह पहली महिला जज है.
गर्भपात के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले में महिला के चुनने के अधिकार का समर्थन किया गया है. इसके बावजूद की मेडिकल बोर्ड ने गर्भपात की अनुमति देने के खिलाफ अपनी रिपोर्ट दी थी.
एक वकील द्वारा महिला जज के साथ किए गए दुर्व्यवहार को हाईकोर्ट ने गंभीर मामला मानते हुए आरोपी वकील के यूपी के किसी भी अदालत में प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी है. साथ ही बुलंदशहर पुलिस और जिला जज को आदेश दिए है कि वे महिला जज को उचित सुरक्षा प्रदान करें.
स्त्रीधन पर स्त्री का पूरा अधिकार होता है. स्त्रीधन की तुलना दहेज़ से नहीं की जा सकती है क्योंकि दहेज वर पक्ष को दिया जाता है, जबकि स्त्रीधन वधु को ही दिया जाता है.