Muslim Woman demand Hindu Succession Law: सुप्रीम कोर्ट के सामने संपत्ति के बंटबारे से जुड़ा एक बेहद रोचक मामला सामने आया है. ये मामला एक मुस्लिम महिला लेकर पहुंची है जिसने अपनी पैतृक संपत्ति में हिंदू उत्तराधिकार अधनियम के तहत संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग की है. महिला ने मुस्लिम पर्सनल लॉ की जगह हिंदू कानून के जरिए संपत्ति का बंटवारा कराने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ है. वे इस मामले को गर्मी की छुट्टियों के बाद सुनेंगे.
मुस्लिम महिला ने 29 अप्रैल, 2024 के दिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. महिला ने बताया कि उसके पुरखों ने इस्लाम धर्म अपनाया था. उसके पिता की पीढ़ी ने मजहब में अपनी आस्था समाप्त कर ली है. उसे भी इसमें कोई आस्था नहीं है लेकिन उन्होंने अधिकारिक रूप से इससे दूर नहीं हुए. महिला ने संविधान के अनुच्छेद-25 को आधार बनाते हुए कहा कि उसे देश में अपनी इच्छा के अनुसार धर्म को मानने की आजादी है.
महिला ने कहा,
“मैं इस्लाम नहीं मानती. भले ही मेरा जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ, लेकिन इस्लाम के प्रति मेरी कोई आस्था नहीं है.”
याचिका में महिला ने अपने पिता की इच्छा भी बताई. महिला ने कहा कि पिता भी इस्लाम में आस्था नहीं रखते हैं. इसलिए वो शरीयत के हिसाब से वसीयत नहीं लिखना चाहते हैं. हालांकि, मुस्लिम धर्म में जन्में व्यक्ति को वसीयत में हिस्सेदारी पर्सनल लॉ के अनुसार दी जाती है. यहां महिला ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बंटवारे की मांग की है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले को सुना. उन्होंने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को मामले में एमिकस क्यूरी यानि न्याय मित्र बनाया है जो अदालत को कानूनी और तकनीकी पहलुओं को बता सकें.
याचिका को दायर करने वाली महिला का नाम साफिया है. वे पूर्व मुस्लिमों की एक संस्था की महासचिव है. पूर्व मुस्लिमों की संस्था, उन मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करती है जो पहले मुस्लिम हुआ करते थे, अब इस मजहब में उनकी कोई आस्था नहीं है.