बुधवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं अपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार रखती है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया है.
Image Credit: my-lord.inव्यक्ति ने तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसने अपनी पूर्व पत्नी को ₹10,000 अंतरिम भरण-पोषण देने का निर्देश दिया था.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तलाकशुदा मुस्लिम महिला को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम इस प्रमुख निष्कर्ष के साथ आपराधिक अपील को खारिज कर रहे हैं कि धारा 125 सीआरपीसी सभी महिलाओं पर लागू होगी, न कि केवल विवाहित महिलाओं पर.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने ये बताया कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता लंबित रहने के दौरान मुस्लिम महिला तलाक लेती है तो मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम के अनुसार भी गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है.
Image Credit: my-lord.inसुनवाई के दौरान शाह बानो मामले का जिक्र भी आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि सीआरपीसी की धारा 125 एक धर्मनिरपेक्ष प्रावधान है जो मुस्लिम महिलाओं पर भी समान रूप से लागू होता है.
Image Credit: my-lord.inअब सुप्रीम कोर्ट ने भी उपरोक्त टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है जिसके तहत मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता के तहत 10,000 रूपये देने होंगे.
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