सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विजुअल मीडिया द्वारा विकलांग व्यक्तियों (PWD) के चित्रण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए,
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगता को दर्शाने में ऐसी भाषा से बचने का निर्देश दिया जो विकलांगता को व्यक्तिगत बनाती है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने ये बातें कहीं. पीठ ने ये बातें फिल्म आंख मिचौली से जुड़ी कानूनी वाद की सुनवाई करते हुए कहीं.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कहा, ऐसी भाषा जो विकलांग व्यक्तियों का अपमान करती है, उन्हें और हाशिए पर डालती है और उनकी सामाजिक भागीदारी में अक्षम करने वाली बाधाओं को बढ़ाती है, उसे दिखाने में सावधानी बरतनी चाहिए.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि विकलांग व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व में उनके प्रतिनिधित्व के सोशव रेफरेंस को ध्यान में रखना चाहिए और दिव्यांग व्यक्तियों को हाशिए पर नहीं डालना चाहिए.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगता के प्रोट्रेयल में पहला दिशानिर्देश शब्दों से को लेकर दिया. कहा- शब्दों से संस्थागत भेदभाव बढ़ता है.
Image Credit: my-lord.inविकलांग व्यक्तियों के बारे में सामाजिक धारणाओं में अपंगऔर अस्थिभंग जैसे शब्दों का अवमूल्यन हो गया है. वे नकारात्मक आत्म-छवि में योगदान करते हैं और समाज में भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण और प्रथाओं को बनाए रखते हैं.
Image Credit: my-lord.inअदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ऐसी भाषा जो विकलांगता को व्यक्तिगत बनाती है और अक्षम करने वाली सामाजिक बाधाओं से बचा जाना चाहिए.
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