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शादी का वादा कर दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने वाली विवाहित महिला उस पर नहीं कर सकती दुष्कर्म का केस, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने विवाहित महिला द्वारा दायर दुष्कर्म के मामले को खारिज किया है. कोर्ट ने पाया कि आरोपी द्वारा वादे से मुकरने के बाद महिला ने यह प्राथमिकी दर्ज कराई है.

Written by My Lord Team |Published : March 7, 2024 1:29 PM IST

Rape Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. अपने फैसले में विवाहित महिला (Married Woman) द्वारा दायर दुष्कर्म (Rape Case) के मामले को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने मामले में टिप्पणी भी की. महिला का पहले से विवाह हो चुका है. उसने विवाह से इतर जाकर किसी अन्य पुरूष के साथ संबंध बनाए. विवाह करने का दावा भी किया. यह अनैतिक है. साथ ही आरोपी व्यक्ति पर दुष्कर्म का मुकदमा भी गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. 

Rape Case है गलत: SC

जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की डिवीजन बेंच ने इस मामले को सुना. कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद कहा. महिला आरोपी से उम्र में करीब 10 वर्ष बड़ी है. वह मानसिक तौर पर परिवक्व होने के साथ-साथ उसे सही-गलत की समझ थी. ऐसे में उसके द्वारा केस करना गलत है.

क्या है मामला? 

विवाहित महिला का तलाक होना था. मामला कोर्ट में था. इस दौरान महिला किसी अन्य पुरूष के संपर्क में आई.  दोस्ती हुई,शारीरिक संबंध बने. इस दौरान दोनों की अनबन हुई. साल, 2020 में, विवाहित महिला ने पुरूष पर दुष्कर्म का केस दर्ज कराया.

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वादे के बाद ही की तलाक की मांग 

प्राथमिकी में महिला ने बताया. उसने पति से तलाक की मांग की. ये मांग आरोपी द्वारा वादा किए जाने पर ही किया था. महिला के अनुसार, मंदिर में दोनों की शादी भी हुई थी. वह आरोपी के साथ एक पत्नी की तरह साथ रहने भी लगी थी. कुछ समय बाद, आरोपी ने उसके साथ रहने से इंकार कर दिया. जिससे नाराज होकर महिला ने पुरूष के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. 

अदालत ने रद्द किया केस

सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें  आरोपी व्यक्ति ने प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी. कोर्ट ने दोनों वादी और आरोपी के उम्र में काफी अंतर पाया.  इस अंतर को देखते हुए महिला को परिपक्व और समझदार माना. वहीं, मौजूदा तथ्यों और घटनाक्रम को देखते हुए कोर्ट ने इस मामले को रद्द करने के आदेश दिए है.