14 साल की रेप विक्टिम को मिली थी Abortion कराने की इजाजत, अब SC ने आदेश वापस लिया, ये रही वजह
14 वर्षीय रेप विक्टिम के माता-पिता की रजामंदी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने, गर्भपात कराने की इजाजत देने के, अपने फैसले को वापस ले लिया है.
14 वर्षीय रेप विक्टिम के माता-पिता की रजामंदी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने, गर्भपात कराने की इजाजत देने के, अपने फैसले को वापस ले लिया है.
पुलिस ने गैंग रेप पीड़िता के बयान के आधार पर राजस्थान मजिस्ट्रेट के खिलाफ SC/ST सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है. मजिस्ट्रेट पर दलित पीड़िता के साथ बदसलूकी करने का आरोप लगा है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है क्योंकि उन्होंने न सिर्फ एक नाबालिग रेप पीड़िता की पहचान का खुलासा किया बल्कि आरोपी को गलत तरीके से गिरफ्तार करके भी रखा...
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक असाधारण परिस्थिति में एक दुष्कर्म पीड़िता को गर्भावस्था के 25 हफ्ते बीत जाने के बाद गर्भपात कराने की अनुमति दी है। अदालत ने इससे पूर्व कहा था कि यौन शोषण पीड़िता को बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष को अपनी ही 17 साल की क्लर्क का रेप करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया है। चौंकाने वाला है पूरा मामला
गुजरात उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने गर्भपात की अनुमति के लिए दायर नाबालिग बलात्कार पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि एक समय युवावस्था में लड़कियों की शादी होना और उनके 17 साल की उम्र से पहले संतान को जन्म देना आम बात थी.
बलात्कार पीड़िता के पिता ने गर्भपात की अनुमति के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से ज्यादा हो गई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में बलात्कार के एक मामले में पीड़ित की कुंडली को चेक करने का आदेश दिया है जिससे यह पता चल सके कि वो लड़की 'मांगलिक' है या नहीं
Allahabad High Court ने कहा कि पीड़िता वह व्यक्ति है जो अदालत के समक्ष आती है और मुकदमे के दौरान यदि वह बलात्कार के आरोप से इनकार करती है और पक्षद्रोही हो जाती है, तो राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई मुआवजे की राशि को उसके पास रखने का कोई औचित्य नहीं है.
अपराध कोई भी हो वह समाज पर गलत प्रभाव ही डालता है. परन्तु कुछ अपराधों की केवल कल्पना, हमें भयभीत कर देती है. वैसा ही एक अपराध है Acid Attack. आइए जानते हैं क्या है IPC के तहत एसिड हमलों के खिलाफ दंड के प्रावधान.
गर्भपात की अनुमति देते हुए न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि संवैधानिक अदालत होने के नाते पीड़िता के हित को देखना उनका कर्तव्य है. "यह अदालत मानती है कि पीड़िता द्वारा दी गई सहमति के मद्देनजर केवल उसके पिता के गैर-जिम्मेदाराना कार्य के कारण पीड़िता को निराश नहीं किया जा सकता है..."
महिला के साथ दुष्कर्म अक्षम्य अपराध है क्योंकि पीड़ित महिला की स्थिति मृतप्राय हो जाती है अतः सामाजिक उत्पीड़न से बचाने के लिए उसकी पहचान की गोपनियता अनिवार्य है
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि POCSO मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जब भी पीड़िता अदालत में पेश होती है, उस समय उसके साथ सहयोगी व्यक्ति को साथ रहने देना चाहिए ताकि उससे उसे मनोवैज्ञानिक सहायता मिल सके.
यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को दिए जाने वाले मुआवजे में भिन्नता के लिए यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और दिल्ली की सरकारो के साथ केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी जवाब मांगा है.
सीआरपीसी के अनुसार अपराध को दो भागों में बांटा गया हैं. संज्ञेय अपराध प्रकृति में गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं. इस तरह के अपराध के मामलों में पीड़ित की और से सरकार द्वारा मुकदमा लड़ा जाता है.
बलात्कार पीड़िता के पिता ने गर्भपात की अनुमति के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, क्योंकि गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से ज्यादा हो गई है.
Allahabad High Court ने कहा कि पीड़िता वह व्यक्ति है जो अदालत के समक्ष आती है और मुकदमे के दौरान यदि वह बलात्कार के आरोप से इनकार करती है और पक्षद्रोही हो जाती है, तो राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई मुआवजे की राशि को उसके पास रखने का कोई औचित्य नहीं है.
अपराध कोई भी हो वह समाज पर गलत प्रभाव ही डालता है. परन्तु कुछ अपराधों की केवल कल्पना, हमें भयभीत कर देती है. वैसा ही एक अपराध है Acid Attack. आइए जानते हैं क्या है IPC के तहत एसिड हमलों के खिलाफ दंड के प्रावधान.
गर्भपात की अनुमति देते हुए न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि संवैधानिक अदालत होने के नाते पीड़िता के हित को देखना उनका कर्तव्य है. "यह अदालत मानती है कि पीड़िता द्वारा दी गई सहमति के मद्देनजर केवल उसके पिता के गैर-जिम्मेदाराना कार्य के कारण पीड़िता को निराश नहीं किया जा सकता है..."
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि POCSO मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जब भी पीड़िता अदालत में पेश होती है, उस समय उसके साथ सहयोगी व्यक्ति को साथ रहने देना चाहिए ताकि उससे उसे मनोवैज्ञानिक सहायता मिल सके.
यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को दिए जाने वाले मुआवजे में भिन्नता के लिए यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और दिल्ली की सरकारो के साथ केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी जवाब मांगा है.
सीआरपीसी के अनुसार अपराध को दो भागों में बांटा गया हैं. संज्ञेय अपराध प्रकृति में गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं. इस तरह के अपराध के मामलों में पीड़ित की और से सरकार द्वारा मुकदमा लड़ा जाता है.