CJI के समर्थन में आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, उनके प्रोटोकॉल की अनदेखी से जताई नाराजगी
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर व्यक्त की गई नाराजगी का समर्थन किया.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर व्यक्त की गई नाराजगी का समर्थन किया.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत पर जोर देते हुए कहा कि जब सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है, तो वह संसद और चुनावों में जनता के प्रति जवाबदेह होती है, न्यायालय को ऐसी कोई जवाबदेही नहीं है.
कर्नाटक वैभव साहित्यिक और सांस्कृतिक महोत्सव में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए धन का इस्तेमाल किया गया है और न्यायपालिका तक पहुंच को हथियार बनाया गया है.
संविधान की धारा 67 बी के अनुसार,उपराष्ट्रपति को परिषद के सदस्यों के बहुमत संख्या से हटाया जा सकता है, जिसे लोक सभा द्वारा सहमति दी जानी चाहिए. इसके लिए उपराष्ट्रपति को प्रस्तावित हटाने के लिए कम से कम चौदह दिनों का पूर्व नोटिस देना आवश्यक है.
यूके की आधिकारिक विदेश यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने लंदन में प्रवासी भारतीयों के सदस्यों की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की थी
UK की अधिकारित विदेश यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने लंदन में प्रवासी भारतीयों के सदस्यों की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की थी. प्रवासी भारतीयों के सदस्यों के इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारतीय न्यायपालिका की जमकर तारीफे की.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर व्यक्त की गई नाराजगी का समर्थन किया.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत पर जोर देते हुए कहा कि जब सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है, तो वह संसद और चुनावों में जनता के प्रति जवाबदेह होती है, न्यायालय को ऐसी कोई जवाबदेही नहीं है.
कर्नाटक वैभव साहित्यिक और सांस्कृतिक महोत्सव में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए धन का इस्तेमाल किया गया है और न्यायपालिका तक पहुंच को हथियार बनाया गया है.
संविधान की धारा 67 बी के अनुसार,उपराष्ट्रपति को परिषद के सदस्यों के बहुमत संख्या से हटाया जा सकता है, जिसे लोक सभा द्वारा सहमति दी जानी चाहिए. इसके लिए उपराष्ट्रपति को प्रस्तावित हटाने के लिए कम से कम चौदह दिनों का पूर्व नोटिस देना आवश्यक है.
UK की अधिकारित विदेश यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने लंदन में प्रवासी भारतीयों के सदस्यों की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की थी. प्रवासी भारतीयों के सदस्यों के इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारतीय न्यायपालिका की जमकर तारीफे की.