Divorce के बाद काम छोड़कर सिर्फ पति से मिलने वाली Maintenance पर निर्भर नहीं रह सकती पत्नी: Karnataka HC
तलाक के बाद एक पत्नी बिना काम किये, सिर्फ अपने पति द्वारा मिलने वाले मेंटेनेन्स पर निर्भर नहीं रह सकती है- कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कही ये बात
तलाक के बाद एक पत्नी बिना काम किये, सिर्फ अपने पति द्वारा मिलने वाले मेंटेनेन्स पर निर्भर नहीं रह सकती है- कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कही ये बात
देश के सभी नेशनल ट्राइब्यूनल्स के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक निर्देश जारी किया है जिसे छह महीनों के अंदर पूरा करना है...
केंद्र के अकाउंट्स ब्लॉकिंग से जुड़े आदेश को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर ने चुनौती दी थी लेकिन उनकी याचिका को उच्च न्यायालय ने न सिर्फ खारिज किया है बल्कि उनपर 50 लाख रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया है
कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक मामला सामने आया है जिसमें एक फेसबुक पोस्ट के चक्कर में भारतीय नागरिक को सऊदी अरब ने गिरफ्तार कर लिया है। याचिकाकर्ता का क्या कहना है और अदालत ने इसपर क्या कहा है, जानिए
आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच मौके पर झगड़ा हुआ था. उस झगड़े के दौरान, आरोपी ने शिकायतकर्ता का अंडकोष दबोचने का चयन किया.
प्रोफेसर शरत ने 18 नवंबर, 2022 को कुलपति के पद के लिए अपना आवेदन किया था. अन्य आवेदक प्रोफेसर एच राजशेखर ने मुख्य सूची में उनके नाम के खिलाफ की गई टिप्पणी को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था.
कर्नाटक हाईकोर्ट में एक मामला आया जिसमें एक शादीशुदा महिला ने एक आदमी पर उन्हें धोखा देने का इल्जाम लगाया है क्योंकि उन्होंने इनसे शादी का वादा करके उसे तोड़ दिया! महिला को गलत ठहराते हुए अदालत ने किस तरह पुरुष का पक्ष लिया है और मामला क्या है, आइए जानते हैं
पत्नी ने पति पर आईपीसी की धारा 498A के तहत क्रूरता का आरोप लगाया है क्योंकि उसने उनके साथ शारीरिक संबंध निहं बनाए। अदालत ने क्या फैसला सुनाया, आइए जानते हैं
महिला ने पति के खिलाफ शारीरिक संबंध न बनाने पर किया मुकदमा और तलाक की भी मांग की। ब्रह्मकुमारी समाज से कैसे जुड़ा है यह मामला, जानिए
फेसबुक की मूल कंपनी मेटा को याचिका में 29 मई 2023 को एक पक्ष बनाया गया। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि वह एक फर्जी मामले में विदेशी जेल में कैद भारतीय नागरिक की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों का विवरण दे।
शख्स ने अपनी पत्नी, साली और दस साल से कम उम्र वाले तीन बच्चों की कुल्हाड़ी से की हत्या! क्या थी वजह और अदालत ने सुनाई क्या सजा, जानें
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में पुलिस को आदेश दिया है कि वो उसकी ऑफिस की फीस और अन्य फायदे रोक दें। इसके पीछे की वजह क्या है और ऐसा अदालत ने क्यों कहा है, आइए जानते हैं
केवल अपराध करना ही नहीं बल्कि उसे छुपाने वाला भी अपराधी होता है जिसके बारे में पॉक्सो अधिनियम में बताया गया है.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र से मांग की है कि वो 'शवों से दुष्कर्म' को एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में लाएं और भारतीय दंड संहिता में इसे लेकर संशोधन करें
कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा है कि उन्हें IPC में या तो संशोधन करना चाहिए या फिर नए प्रावधानों को लाना चाहिए जिससे उन लोगों को कड़ी सजा मिल सके जो शवों के साथ दुष्कर्म कर रहे हैं.
राज्य सरकार की ओर से डी के शिवकुमार की याचिका का विरोध करते हुए अदालत में कहा गया कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत पारित आदेश स्वीकृति आदेश नहीं है, बल्कि मामले की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति है.
पत्नी के साथ क्रूरता करने पर भारतीय दंड संहिता के तहत कारावास और जुर्माने से किया जाएगा दण्डित
खाने में नमक कम हो तो मार पीट, पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी है तो नौकरी करने पर रोक, दहेज के नाम पर हत्या आदि इस तरह के अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
प्रोफेसर शरत ने 18 नवंबर, 2022 को कुलपति के पद के लिए अपना आवेदन किया था. अन्य आवेदक प्रोफेसर एच राजशेखर ने मुख्य सूची में उनके नाम के खिलाफ की गई टिप्पणी को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था.
कर्नाटक हाईकोर्ट में एक मामला आया जिसमें एक शादीशुदा महिला ने एक आदमी पर उन्हें धोखा देने का इल्जाम लगाया है क्योंकि उन्होंने इनसे शादी का वादा करके उसे तोड़ दिया! महिला को गलत ठहराते हुए अदालत ने किस तरह पुरुष का पक्ष लिया है और मामला क्या है, आइए जानते हैं
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फेसबुक की मूल कंपनी मेटा को याचिका में 29 मई 2023 को एक पक्ष बनाया गया। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया कि वह एक फर्जी मामले में विदेशी जेल में कैद भारतीय नागरिक की सुरक्षा के लिए उठाये गये कदमों का विवरण दे।
शख्स ने अपनी पत्नी, साली और दस साल से कम उम्र वाले तीन बच्चों की कुल्हाड़ी से की हत्या! क्या थी वजह और अदालत ने सुनाई क्या सजा, जानें
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में पुलिस को आदेश दिया है कि वो उसकी ऑफिस की फीस और अन्य फायदे रोक दें। इसके पीछे की वजह क्या है और ऐसा अदालत ने क्यों कहा है, आइए जानते हैं
केवल अपराध करना ही नहीं बल्कि उसे छुपाने वाला भी अपराधी होता है जिसके बारे में पॉक्सो अधिनियम में बताया गया है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा है कि उन्हें IPC में या तो संशोधन करना चाहिए या फिर नए प्रावधानों को लाना चाहिए जिससे उन लोगों को कड़ी सजा मिल सके जो शवों के साथ दुष्कर्म कर रहे हैं.
राज्य सरकार की ओर से डी के शिवकुमार की याचिका का विरोध करते हुए अदालत में कहा गया कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत पारित आदेश स्वीकृति आदेश नहीं है, बल्कि मामले की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति है.
खाने में नमक कम हो तो मार पीट, पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी है तो नौकरी करने पर रोक, दहेज के नाम पर हत्या आदि इस तरह के अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में एक आम आदमी पार्टी को राज्य राजनैतिक दल के रूप में मान्यता प्राप्त है. 2022 में हुए गुजरात चुनाव में मिले वोटो के आधार पर आप पार्टी ने चुनाव आयोग के समक्ष राष्ट्रीय दर्जे के लिए आवेदन किया था.
Karnataka High Court के Justice M Nagaprasanna ने मामले को विशेष परिस्थितियों का बताते हुए जेल अधिकारियों को दोषी आनंद को विवाह के लिए 5 अप्रैल से 20 अप्रैल की अवधि के लिए रिहा करने का आदेश दिया.
भाजपा विधायक को 7 मार्च को 5 लाख रूपये के निजी मुचलके की शर्ता हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी,जिसके खिलाफ कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा मामले में याचिका दायर की गई थी.
कर्नाटक लोकायुक्त ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया है कि कि विधायक के कमरे से बड़ी रकम बरामद होने के बावजूद उन्हें अग्रिम जमानत मिल गई.
बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान जस्टिस दत्ता ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लेकर कई अहम निर्णय लिए.उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 30 एकड़ के भूखंड पर एक नए हाईकोर्ट भवन के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास हैं.
मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में Advocates' Association Bengaluru के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी और महासचिव टी जी रवि ने कहा है कि ‘कर्नाटक हाईकोर्ट में आम तौर पर अग्रिम जमानत जैसे नए मामलों को सूचीबद्ध होने में कई दिन और कई सप्ताह लगते हैं, लेकिन वीआईपी (अति महत्वपूर्ण लोगों से जुड़े) मामलों पर तुरंत विचार किया जाता है’
इस मामले को पहले भी 23 जनवरी को वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा की ओर से मेंशन किया गया था. तब भी सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं को आश्वासन दिया था कि जल्द ही मामले की सुनवाई के लिए तीन-जजों की पीठ के लिए एक तारीख तय की जाएगी.एक माह बाद ही मामले की सुनवाई के लिए पीठ का गठन नहीं होने पर बुधवार सुबह न्यायालय समय के साथ ही फिर से मेंशन किया गया.
मद्रास हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए जजों में एडवोकेट L Victoria Gowri का नाम भी शामिल है. हाल ही में एडवोकेट गौरी के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट के 22 सीनियर एडवोकेट ने उनके पूर्व में दिए गए विवादित बयानों के आधार पर राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उनका नाम वापस भेजने का अनुरोध किया था.