प्रदेश के MP-MLA के खिलाफ चल रहे अपराधिक मामले का जल्द से जल्द करें निपटारा, इलाहाबाद हाईकोर्ट का अदालतों को निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट से सांसद-विधायक के खिलाफ लंबित मामलों की लिस्ट भी मांगी है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट से सांसद-विधायक के खिलाफ लंबित मामलों की लिस्ट भी मांगी है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पीडी ट्रायल के संभव होने पर चिंता जाहिर की. सीजेआई ने बताया कि नये कानून के लागू होने के बाद भी अपराधिक मुकदमों का स्पीडी ट्रायल से निपटारा संभव नहीं है. स्पीडी ट्रायल के संभव होने के लिए अदालतों को उचित संसाधनों को मुहैया कराने की जरूरत होगी.
आज भारत में सिविल और क्रिमिनल मामलों के निपटारे के लिए निचली अदालत, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय की सुविधा है। जानिए कि स्वतंत्रता से पहले, भारत में आपराधिक मामलों का निपटारा किस तरह होता था, 1947 से पहले भारत में न्यायिक व्यवस्था कैसी थी...
नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह किस तरह का साक्ष्य होता है. Prima Facie शब्द को लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका सीधा मतलब है at first sight” or “at first appearance”. कानून की दुनिया में यह बहुचचित शब्द है. इसका सिविल और क्रिमिनल मामलों में कितना महत्व इस पर नजर डालते हैं.
जब कोई मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट और उसके साथ भेजे गए दस्तावेजों की समीक्षा (Review) करने और अभियोजन पक्ष और अभियुक्त को ठीक से सुनने के बाद वो इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं, तो वह कारण दर्ज करने के बाद केस को खारिज कर सकते हैं.
कुछ मामले ऐसे होते हैं जिस पर कोर्ट स्वत: संज्ञान लेती है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि कोर्ट को पुलिस किसी मामले पर जानकारी दे.
बॉम्बे हाईकोर्ट को पूर्णतया कागजरहित बनाने के लिए commercial और criminal मामलों में ई-फाइलिंग को अनिवार्य कर दिया गया है. यानी कि अब आपराधिक और वाणिज्यिक मामलों सहित 12 कैटेगरी में याचिका दायर करने के लिएe-filing सिस्टम के जरिए ही फाइल की जा सकेगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट से सांसद-विधायक के खिलाफ लंबित मामलों की लिस्ट भी मांगी है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पीडी ट्रायल के संभव होने पर चिंता जाहिर की. सीजेआई ने बताया कि नये कानून के लागू होने के बाद भी अपराधिक मुकदमों का स्पीडी ट्रायल से निपटारा संभव नहीं है. स्पीडी ट्रायल के संभव होने के लिए अदालतों को उचित संसाधनों को मुहैया कराने की जरूरत होगी.
आज भारत में सिविल और क्रिमिनल मामलों के निपटारे के लिए निचली अदालत, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय की सुविधा है। जानिए कि स्वतंत्रता से पहले, भारत में आपराधिक मामलों का निपटारा किस तरह होता था, 1947 से पहले भारत में न्यायिक व्यवस्था कैसी थी...
जब कोई मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट और उसके साथ भेजे गए दस्तावेजों की समीक्षा (Review) करने और अभियोजन पक्ष और अभियुक्त को ठीक से सुनने के बाद वो इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं, तो वह कारण दर्ज करने के बाद केस को खारिज कर सकते हैं.
कुछ मामले ऐसे होते हैं जिस पर कोर्ट स्वत: संज्ञान लेती है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि कोर्ट को पुलिस किसी मामले पर जानकारी दे.
बॉम्बे हाईकोर्ट को पूर्णतया कागजरहित बनाने के लिए commercial और criminal मामलों में ई-फाइलिंग को अनिवार्य कर दिया गया है. यानी कि अब आपराधिक और वाणिज्यिक मामलों सहित 12 कैटेगरी में याचिका दायर करने के लिएe-filing सिस्टम के जरिए ही फाइल की जा सकेगी.