किसी बिजनेस को Startups कहने की क्राइटेरिया
Startup कहलाने के लिए किसी बिजनेस आइडिया का यूनिक, स्टार्टअप का टर्नओवर आदि क्राइटेरिया पर तय की जाती है.
Startup कहलाने के लिए किसी बिजनेस आइडिया का यूनिक, स्टार्टअप का टर्नओवर आदि क्राइटेरिया पर तय की जाती है.
भारतीय स्टार्टअप ने 2023 के पहले दस महीनों में 12.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जो पिछले कुल 11 बिलियन डॉलर से अधिक है.
बेंगलुरु स्थित मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल लगभग 17 प्रतिशत निवेशकों को लगता है कि फंडिंग का सूखा जल्दी खत्म हो सकता है और बाकी का मानना है कि इसे बीतने में 12-18 महीने या उससे अधिक का समय लगेगा।
स्टार्टअप आम तौर पर छोटे होते हैं और नियमन के मामले में उनमें संतुलन की जरूरत होती है, इसलिए कारोबारी सुगमता और अनुपालन आधारित नियामक व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
भारत में 1,00,000 से अधिक स्टार्टअप और 108 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) हैं
भारतीय स्टार्टअप में व्यापक संभावना है और अगले पांच वर्षों में देश में कार्यरत यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या 200 तक पहुंचने की उम्मीद है.
जॉब सीकर्स अब स्टार्टअप्स के बजाय संगठन के साथ काम करने और बढ़ने के लिए स्थिर और स्थापित कंपनियों को तरजीह दे रहे हैं.
स्टार्टअप इनक्यूबेटर ऐसे संस्थान होते हैं जो उद्यमियों (Entrepreneurs) को अपना व्यवसाय विकसित करने में मदद करते हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए बजट में देश में पुराने हो चुके 3,400 से अधिक कानूनी प्रावधानों को हटाने का ऐलान किया है.
बदलते समय के साथ स्टार्टअप्स की ओर भारत तेजी से अपना पैर पसार रहा है. इसे लेकर जो रुकावटें आती हैं उसे दूर करने के लिए सरकार से लेकर हर कोई अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है. इसी दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया जा गया है.
एंजेल टैक्स की शुरुवात भारत में वर्ष् 2012 में हुई थी. हालाँकि यह धारा स्टार्ट-अप्स के लिए एक चिंता का विषय रही है क्योंकि भारत में स्टार्ट-अप्स द्वारा जुटाई गई पूंजी पर भी इस धारा के तहत भारी टैक्स लगाया जाता है. बाद में स्टार्ट-अप्स की बढ़ती तादाद देखकर, भारत सरकार ने उनको बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की. इसी राह पर चलते हुई स्टार्ट-अप्स के लिए अनुकूल वातावरण बनाने हेतु, सरकार ने 19 फरवरी 2019 में अधिसूचना (Notification) जारी की और स्टार्ट-अप्स को "एंजेल टैक्स" से पर्याप्त छूट दी.
किसी भी विधान में "स्टार्टअप" शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है. हालाँकि स्टार्टअप को लेकर भारतीय सरकार द्वारा कई स्कीम (scheme) शुरू की गई हैं औस्टार्टअप को मान्यता प्रदान करने के लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं और इसका बीड़ा उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) को दिया गया है.
भारतीय स्टार्टअप ने 2023 के पहले दस महीनों में 12.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जो पिछले कुल 11 बिलियन डॉलर से अधिक है.
बेंगलुरु स्थित मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल लगभग 17 प्रतिशत निवेशकों को लगता है कि फंडिंग का सूखा जल्दी खत्म हो सकता है और बाकी का मानना है कि इसे बीतने में 12-18 महीने या उससे अधिक का समय लगेगा।
स्टार्टअप आम तौर पर छोटे होते हैं और नियमन के मामले में उनमें संतुलन की जरूरत होती है, इसलिए कारोबारी सुगमता और अनुपालन आधारित नियामक व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
भारत में 1,00,000 से अधिक स्टार्टअप और 108 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) हैं
भारतीय स्टार्टअप में व्यापक संभावना है और अगले पांच वर्षों में देश में कार्यरत यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या 200 तक पहुंचने की उम्मीद है.
जॉब सीकर्स अब स्टार्टअप्स के बजाय संगठन के साथ काम करने और बढ़ने के लिए स्थिर और स्थापित कंपनियों को तरजीह दे रहे हैं.
स्टार्टअप इनक्यूबेटर ऐसे संस्थान होते हैं जो उद्यमियों (Entrepreneurs) को अपना व्यवसाय विकसित करने में मदद करते हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए बजट में देश में पुराने हो चुके 3,400 से अधिक कानूनी प्रावधानों को हटाने का ऐलान किया है.
बदलते समय के साथ स्टार्टअप्स की ओर भारत तेजी से अपना पैर पसार रहा है. इसे लेकर जो रुकावटें आती हैं उसे दूर करने के लिए सरकार से लेकर हर कोई अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है. इसी दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया जा गया है.
एंजेल टैक्स की शुरुवात भारत में वर्ष् 2012 में हुई थी. हालाँकि यह धारा स्टार्ट-अप्स के लिए एक चिंता का विषय रही है क्योंकि भारत में स्टार्ट-अप्स द्वारा जुटाई गई पूंजी पर भी इस धारा के तहत भारी टैक्स लगाया जाता है. बाद में स्टार्ट-अप्स की बढ़ती तादाद देखकर, भारत सरकार ने उनको बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की. इसी राह पर चलते हुई स्टार्ट-अप्स के लिए अनुकूल वातावरण बनाने हेतु, सरकार ने 19 फरवरी 2019 में अधिसूचना (Notification) जारी की और स्टार्ट-अप्स को "एंजेल टैक्स" से पर्याप्त छूट दी.
किसी भी विधान में "स्टार्टअप" शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है. हालाँकि स्टार्टअप को लेकर भारतीय सरकार द्वारा कई स्कीम (scheme) शुरू की गई हैं औस्टार्टअप को मान्यता प्रदान करने के लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं और इसका बीड़ा उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) को दिया गया है.