नई दिल्ली: भारत में अगले 6-12 महीनों में स्टार्टअप फंडिंग का दौर लौट आएगा। 50 प्रतिशत निवेशक इस बात को लेकर सकारात्मक हैं। बुधवार को एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
बेंगलुरु स्थित मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल लगभग 17 प्रतिशत निवेशकों को लगता है कि फंडिंग का सूखा जल्दी खत्म हो सकता है और बाकी का मानना है कि इसे बीतने में 12-18 महीने या उससे अधिक का समय लगेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका, ईयू, यूएई और जापान भारतीय स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग का सबसे बड़ा स्रोत हैं, जो कुल वैश्विक फंडिंग का 5 प्रतिशत और कुल एपीएसी फंडिंग का 20 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार, यूनिकॉर्न का अगला सेट डी2सी-बीपीसी, डी2सी-स्वास्थ्य और कल्याण, डायग्नोस्टिक्स और क्लीनिक, गेमिंग एवं ऐप स्टूडियो जैसे क्षेत्रों से सामने आएगा।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, रेडसीर के पार्टनर कनिष्क मोहन ने कहा कि अब तक के फंडिंग पैटर्न के साथ उम्मीद यह है कि 2023, साल 2017 से 2020 के वर्षों के अनुरूप लॉन्ग-टर्म रुझानों पर वापस आ जाएगा, और 12 डॉलर से 15 बिलियन डॉलर के बीच रहेगा, जिसके आगे साल 2024 में तेजी आने और 15-20 डॉलर बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
2023 की शुरुआत में फंडिंग डीलों की संख्या 2022 में 1,519 डीलों से घटकर 700-900 हो गई थी, साल 2024 में वापस बढ़कर 1,000-1,200 होने की उम्मीद है।
मोहन ने आगे कहा कि इसके अलावा, बेंचर कैपिटल्स के पास आजकल पहले की तुलना में कहीं ज्यादा कम जोखिम वाली पूंजी है। इस साल डीलों की कुल संख्या, इनमें से 90 प्रतिशत सीड या शुरुआती चरण की डील होने की संभावना है, जो 2017 के बाद से देखे गए रुझान के समान है।
बीते चार सालों में पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या 9 गुना बढ़ गई है। 2018 में यह संख्या लगभग 10,000 थी जो 2022 में लगभग 90,000 हो गई।
रिपोर्ट के अनुसार, साथ ही एक्टिव निवेशकों की संख्या 2018 में 400 निवेशकों से दोगुनी बढ़कर वित्त वर्ष 2022 तक लगभग 900 निवेशक हो गई है।