क्या सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीना अपराध है? जानिये सम्बंधित कानून और सजा
कई बार आपने देखा होगा कि पुलिस ने किसी व्यक्ति को शराब पीते हुए गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. कई जगह पर शराब सेवन के खिलाफ अभियान भी चलाए जाते हैं.
कई बार आपने देखा होगा कि पुलिस ने किसी व्यक्ति को शराब पीते हुए गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. कई जगह पर शराब सेवन के खिलाफ अभियान भी चलाए जाते हैं.
भादंसं की धारा 304 (1), धारा 302 का ही एक हिस्सा है जहां जान से मारने का इरादा नहीं होता और इसमें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने उन्हें अपने रुख के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देते हुए कहा कि अदालत “अभिव्यक्ति की आजादी” की पक्षधर है, लेकिन दिए गए बयान निंदनीय नहीं होने चाहिए.
अक्सर सुनने में आता है कि किसी व्यक्ति ने दो शादियां की थी तो उसे जेल जाना पड़ा लेकिन उसके उलट यह भी सुनाई पड़ता है दो शादीयों के बावज़ूद अन्य व्यक्ति को सजा नहीं हुई? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमारे देश में दो बार शादी करना या द्विविवाह अपराध है या नहीं, इसे समझते हैं की ऐसा क्यों होता है?
क्या हमारे देश में दो - दो शादियां करना एक अपराध के श्रेणी में आता है. इसे लेकर अलग- अलग लोग के मन में अलग- अलग धारणाएं बनी हुई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर बार दो शादियां करना अपराध के श्रेणी में नहीं आता.
अपहरण में इस्तेमाल की गई कार के चालक को पुलिस ने दिल्ली में पकड़ा था और उसकी निशानदेही पर गौरव को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ा लिया गया था.
हमारे देश में संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सभी नागरिकों को अपनी बात रखने की आजादी है लेकिन अनुच्छेद 19 (2) के अंतर्गत कुछ प्रतिबंध भी है जैसे कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक जगह पर कुछ ऐसा नहीं बोल सकता जिससे किसी की धार्मिक भावना आहत हो, या शांति भंग हो.
मध्य प्रदेश के जबलपुर में दंपति के 3 आरोपियों को फांसी की सजा, कोर्ट ने कहा- ऐसे अपराधी समाज के लिए आतंक मात्र
हमारे देश में किसी को आत्महत्या के लिए उकसाना कानूनी रूप से अपराध माना जाता है. इसके लिए भारतीय दंड सहिंता की धारा 306 के तहत सज़ा सुनाई जा सकती है.
कई बार लोग बिना सोचे समझे ही कुछ भी पोस्ट कर देते हैं लेकिन ऐसा करना भारी पड़ सकता है, खास करके तब किसी का पोस्ट समाज पर बुरा प्रभाव डालता है.
बलात्कार जैसे अपराध पर लगाम लगाने के लिए देश के कानून को सख्त कर दिया गया है. आइए नज़र डाले उन धाराओं पर जिंसके तहत दोषियों को मिलती है सज़ा.
शायद ही ऐसा दिन होगा जब अखबार में बलात्कार की कोई खबर ना आए. ऐसे अपराध पर लगाम लगाने के लिए ही देश के कानून को सख्त कर दिया गया है.
नकली सामान हो या कोई रसीद उसे वैध कभी माना नहीं जाता है और जो लोग इनका इस्तेमाल करते हैं उन्हें कानूनी रूप से माफ भी नहीं किया जा सकता है.
किसी के जाति को लेकर उसे अपमानित करना गलत तो है ही साथ ही अपराध भी है इसके लिए दोषी को सजा भी हो सकती है.
जाहिर सी बात है अगर कोई आपके नाम का इस्तेमाल कर कोई गलत काम करेगा तो आपका नाम खराब हो सकता है समाज में आपकी छवि खराब हो सकती है. तो ऐसे में पीड़ित के पास आईपीसी की धारा 499 और 500 उपलब्ध है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित घर और कार्यालय पर एक व्यक्ति ने 10 करोड़ रुपये नहीं देने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी. गडकरी ने समाचार एजेंसी को बताया कि फोन करने वाले ने अपना नाम जयेश पुजारी उर्फ जयेश कांत बताया है.
IPC की धारा 177 और धारा 182 के अंतर्गत अगर कोई किसी पब्लिक सर्वेंट को जानबूझ कर झूठी सूचना देगा, तो वह अपराधी माना जाएगा. साथ ही इन धाराओं के अंतर्गत सजा का भी प्रावधान किया गया है.
सिगरेट और तंबाकू उत्पाद मानव शरीर के लिए हानिकारक होते हैं, इसलिए सरकार द्वारा इनके उत्पाद और व्यापार संबंधित कानून बनाए गए हैं, जिनका पालन अनिवार्य है.
IPC की धारा 159 में अपराध के एक प्रकार दंगा के बारे में बताया गया है, अगर कोई दंगा फैलाने की कोशिश करता है तो वो सजा का पात्र होगा.
मनी लॉन्ड्रिंग एक जघन्य अपराध है जो न केवल देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करता है, बल्कि आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, आतंकवाद आदि जैसे अन्य गंभीर अपराधों को भी बढ़ावा देता है.
हमारे संविधान ने सभी धर्मों को एक समान माना है और जो कोई भी किसी धर्म का अपमान करेगा और धार्मिक संवेदनशीलता को चोट पहुंचाएगा तो उसे IPC के तहत सजा मिलेगी.
जानबूझकर किसी भी सार्वजनिक झरने के पानी को गंदा करना एक अपराध माना गया है.
हमारे देश में अदालत कई मामलों में फांसी की सजा सुनाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कई बार जिस अपराध के लिए किसी को फांसी मिलती है और कई बार उस तरह के अपराध के लिए दोषी को कोई और सजा दी जाती है.
मुंबई की मुलुंड मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा भेजे गए समन के मुताबिक जावेद अख़्तर को आगामी 6 फरवरी को अदालत में हाजिर होकर अपना जवाब पेश करना था. लेकिन 6 फरवरी से पहले ही जावेद अख्तर ने इस समन पर रोक लगाने को लेकर अपील दायर कर दी है.
भारतीय दंड सहिंता की धारा 306 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए उकसाता है और वह व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है तो उस व्यक्ति को इस धारा के तहत सज़ा सुनाई जा सकती है.
जिस भी अपराध के लिए उकसाया है उस अपराध अपराध में जितनी भी अधिकतम सजा निर्धारित की गई है उसकी एक चौथाई सजा उकसाने वाले को दी जाती है.लेकिन ये सजा ओर भी सख्त हो जाती है जब उकसाने वाला व्यक्ति कोई लोक सेवक हो.
चोरी, लूट और डकैती यह तीनो अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है. यानी इन तीनों अपराधों में पुलिस के द्वारा आरोपीयों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. और जमानत अदालत द्वारा ही दी जा सकती है.
देश का यह पहला मामला नहीं है जब किसी दूधिया को दूध में मिलावट के लिए जेल की सजा सुनाई गई है..हमारे देश में मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने पर सख्त सजा के प्रावधान किए गए है. मिलावटी में दोषी पाए जाने पर आरोपी को 6 माह से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है.
हालांकि ये अपराध एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इस अपराध को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है और जमानत भी दी जा सकती है.
जिस तरह चोरी करना गैर जमानती अपराध है उसी तरह चोरी का सामान खरीदना भी गैर जमानती अपराध है जिसके लिए अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है. यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है