क्या है BNSS की धारा 170? जिसके तहत सेना की गतिविधि सोशल मीडिया पर डालने पर 'शख्स' हुआ गिरफ्तार
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
अदालत नाबालिग से दुष्कर्म यानि पॉक्सो मामले में समझौता को मान्यता नहीं देती है. साथ ही दहेज प्रताड़ना, गैर-इरादतन हत्या, हत्या, जालसाजी, अपहरण और फिरौती के मामलों में समझौता मान्य नहीं होता है.
गिरफ्तारी से संबंधित कई प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की कई धाराओं में किया गया है. उन्हीं में से हैं धारा 41 और 41A, जिसके तहत गिरफ्तारी के समय क्या करना चाहिए, इसके कुछ नियम बताए गए है. आइये जानते विस्तार से जानते हैं...
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने भारतपे के को-फाउंडर और शार्क टैंक शो के होस्ट रह चुके अश्नीर ग्रोवर और उनकी पत्नी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर को दंपत्ति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. पढ़े सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कुछ कहा.
संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध की परिभाषा आपराधिक प्रकिया संहिता ( 1973) की धारा 2 (सी) और 2 (एल)
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
कई बार जब लोगों को कोई जान से मारने की धमकी देता है तो वो डर कर अपराधी की सारी बातें मान लेते हैं. इन हालातों में जरूरी है कि कानून की मदद लें.
केवल अपराध करना ही नहीं बल्कि उसे छुपाने वाला भी अपराधी होता है जिसके बारे में पॉक्सो अधिनियम में बताया गया है.
अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस कई हथकंडे अपनाती है, ताकि वो किसी भी तरह पकड़े जाएं और मामले की तहकीकात की जाए.
अपराध कोई भी हो वह समाज पर गलत प्रभाव ही डालता है. परन्तु कुछ अपराधों की केवल कल्पना, हमें भयभीत कर देती है. वैसा ही एक अपराध है Acid Attack. आइए जानते हैं क्या है IPC के तहत एसिड हमलों के खिलाफ दंड के प्रावधान.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 30 प्रतिशत पुरुषों का खतना हुआ है. कुछ समुदायों जैसे कि यहूदियों और मुसलमानों के लगभग सभी पुरुषों का खतना किया जाता है.
अगर आपसे कभी कानून का उल्लंघन हो जाए तो क्या आप अपराधी माने जाएंगे, इससे संबंधित मामलों के लिए कानून में कई तरह के नियम बनाए गए हैं.
किसी और की संपत्ति को अपना बताना गलत है और हमारे कानून ने तो इसे अपराध बताया है,लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई किसी मृत व्यक्ति के गहने को गलत मंशा के साथ अपना बताता है तो क्या उसे अपराध माना जाएगा.
सोशल मीडिया पर लोग अपने मन की बात सबके सामने जाहिर करते हैं. लेकिन कुछ लोग ये भूल जाते हैं कि उन्हे क्या लिखना है और क्या नहीं और यही उन्हें भारी पड़ जाता है .
किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए परन्तु पुलिस का काम अपराध होने से पहले उसे रोकना भी है इसलिए कुछ खास परिस्थितियों में पुलिस के पास गिरफ्तारी के कुछ विशेषाधिकार हैं.
जब भी किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए जिसके बारे में कानून में बताया गया है. गिरफ्तारी से संबंधित बहुत से अधिकार पुलिस को दी गई है.
उच्चाधिकारियों का आदेश वैध होना चाहिए. अगर उसके उच्चाधिकारियों ने उसे कुछ अवैध करने को कहा है तो उसकी यह ज़िम्मेदारी है की वह वो काम न करे वरना वो, उस काम के लिए कानूनी तौर पे उत्तरदायी होगा.
देश में आए दिन विवाह से जुड़े मामले सामने आते हैं, जैसे शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाना, जो कानून की नजर में दंडनीय अपराध है. ऐसे अपराध के लिए IPC की धाराओं में सजा के प्रावधान बताए गए हैं.
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने भारतपे के को-फाउंडर और शार्क टैंक शो के होस्ट रह चुके अश्नीर ग्रोवर और उनकी पत्नी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर को दंपत्ति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. पढ़े सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कुछ कहा.
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
केवल अपराध करना ही नहीं बल्कि उसे छुपाने वाला भी अपराधी होता है जिसके बारे में पॉक्सो अधिनियम में बताया गया है.
अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस कई हथकंडे अपनाती है, ताकि वो किसी भी तरह पकड़े जाएं और मामले की तहकीकात की जाए.
अपराध कोई भी हो वह समाज पर गलत प्रभाव ही डालता है. परन्तु कुछ अपराधों की केवल कल्पना, हमें भयभीत कर देती है. वैसा ही एक अपराध है Acid Attack. आइए जानते हैं क्या है IPC के तहत एसिड हमलों के खिलाफ दंड के प्रावधान.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 30 प्रतिशत पुरुषों का खतना हुआ है. कुछ समुदायों जैसे कि यहूदियों और मुसलमानों के लगभग सभी पुरुषों का खतना किया जाता है.
अगर आपसे कभी कानून का उल्लंघन हो जाए तो क्या आप अपराधी माने जाएंगे, इससे संबंधित मामलों के लिए कानून में कई तरह के नियम बनाए गए हैं.
किसी और की संपत्ति को अपना बताना गलत है और हमारे कानून ने तो इसे अपराध बताया है,लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई किसी मृत व्यक्ति के गहने को गलत मंशा के साथ अपना बताता है तो क्या उसे अपराध माना जाएगा.
सोशल मीडिया पर लोग अपने मन की बात सबके सामने जाहिर करते हैं. लेकिन कुछ लोग ये भूल जाते हैं कि उन्हे क्या लिखना है और क्या नहीं और यही उन्हें भारी पड़ जाता है .
जब भी किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए जिसके बारे में कानून में बताया गया है. गिरफ्तारी से संबंधित बहुत से अधिकार पुलिस को दी गई है.
उच्चाधिकारियों का आदेश वैध होना चाहिए. अगर उसके उच्चाधिकारियों ने उसे कुछ अवैध करने को कहा है तो उसकी यह ज़िम्मेदारी है की वह वो काम न करे वरना वो, उस काम के लिए कानूनी तौर पे उत्तरदायी होगा.
वर्ष 2007 में दिल्ली के हौज काजी थाना क्षेत्र के सीताराम बाजार में विजय यादव की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.हत्या के इस मामले में जिस पिस्टल से हत्या की गई थी, वह बरामद नहीं हो पाई.
जब किसी व्यक्ति को जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है, तो उस व्यक्ति को जमानत के लिए केवल एक महत्वपूर्ण काम करना है.
कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .
POCSO Act के तहत अपराधों को दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया उपल्बध कराई गई है, जिससे बच्चों को ऐसे अपराधों के लिए शिकायत करने में मदद मिले और उन्हें उचित न्याय मिल सके. इस प्रक्रिया में बच्चे को सुरक्षित और उनकी पहचान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है.
भारतीय दंड संहिता 1860 में कई अपराध और सजा दोनों के बारे में जानकारी दी गई है. इनमें से हैं धारा 117 और 118 है. आईए जानते हैं धारा 117 और 118 में किन अपराधों के लिए सजा मिलती है.
मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन, जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.