समझौता होने पर भी समाप्त नहीं होंगे ये मुकदमे?

Satyam Kumar

Source: my-lord.in | 19 Nov, 2024

निष्पक्ष मध्यस्थ

किसी भी मुकदमे में अदालत एक निष्पक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभाती है.

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दोनों पक्षों में सुलह

इसलिए अगर दो पक्षों के बीच के वाद में अगर समझौता होता है, तो अदालत उस मुकदमे को खारिज करने की इजाजत देती हैं.

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समझौते को मंजूरी नहीं!

वहीं, कुछ मामले में ऐसे हैं जिसमें अदालत समझौता होने पर भी मुकदमे को समाप्त करने की इजाजत नहीं देती है.

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समझौतावादी और गैर-समझौतावादी अपराध

यहां कॉन्सेप्ट आता है, समझौतावादी और गैर-समझौतावादी अपराध का,

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अपराध की व्यापकता

गैर-समझौतावादी अपराध में उन कृत्यों को शामिल किया जाता है, जिसका प्रभाव बेहद व्यापक हो.

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नाबालिग से दुष्कर्म

कहें तो अदालत नाबालिग से दुष्कर्म यानि पॉक्सो मामले में समझौता को मान्यता नहीं देती है.

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ये हैं गैर-समझौतावादी अपराध

साथ ही दहेज प्रताड़ना, गैर-इरादतन हत्या, हत्या, जालसाजी, अपहरण और फिरौती के मामलों में समझौता मान्य नहीं होता है.

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समझौता होगा बेअसर!

अदालत इन मामलों में दोनों पक्षों के सुलह को मान्य करने से इंकार करती है.

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