'कानून 'मैरिटल रेप' को मान्यता नहीं देता', अननेचुरल सेक्स के मामले में Delhi HC की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी के साथ अप्राकृतिक' यौन संबंध बनाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द कर दिया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी के साथ अप्राकृतिक' यौन संबंध बनाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द कर दिया.
दिवाली की छुट्टियां नजदीक आने और 10 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने से पहले सुनवाई पूरी करने के लिए न्यायालय के पास सीमित समय है, जिसे देखते हुए CJI DY Chandrachud ने इस मामले को सुनने से इंकार कर दिया है.
मैरिटल रेप को अपराध बनाने की मांग करनेवाले याचिकाकर्ताओं से CJI DY Chandrachud ने पूछा कि पति-पत्नी के बीच बिना इजाजत के संबंध बनाने को अपराध घोषित करने विवाह संस्था अस्थिर होगी. इस पर आप क्या कहना है
सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र ने कहा कि देश में विवाह को एक संस्कार के तौर पर माना जाता है, इन्हीं समाजिक परिस्थितियों के वजह से भी मैरिटल रेप को अपराध घोषित नहीं किया जा सकता है.
आईपीसी की जगह आए BNS की धारा 63 'बलात्कार' को परिभाषित करती है. वहीं, ये धारा मैरिटल रेप को अपवाद मानती है.
मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने पर याचिकाकर्ता दावा किया कि पति को जबरन संबंध बनाने की छूट दी जा रही हैं क्योंकि पीड़ित पत्नी है. असल में यदि पत्नी संबंध बनाने से इंकार करती है तो इसका साफ मतलब No ही है.
मैरिटल रेप मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में अपवाद की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि पति और पत्नी के बीच यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जाता है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है.
रांची के अपर न्यायायुक्त की कोर्ट ने पत्नी के साथ उसके विरोध के बावजूद बार-बार सेक्सुअल रिलेशन बनाने के मामले में ट्रायल फेस कर रहे आरोपी (पति) को दोषी करार दिया है.
बलात्कार एक अपराध है लेकिन क्या आप जानते हैं कि विवाह के बाद अगर कोई पति अपनी पत्नी के बिना मर्जी के शारीरिक संबंध बनाता है या बनाने के लिए मजबूर करता है तो क्या यह भी एक अपराध है
भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई घटनाओं को अपराध की श्रेणी में डाला गया है; ऐसे में वैवाहिक बलात्कार देश में एक दंडनीय अपराध क्यों नहीं है? कानून में इसके बारे में क्या कहा गया है और यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय क्यों है, जानिए...
Supreme Court में इस याचिका को मेंशन किए जाने परकेंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपना जवाब दिया. एसजी ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का भी जवाब तैयार है.
पहली बार देश में पुरुष प्रधानता को महिला प्रधानता के साथ खड़े करने के लिए ना केवल समानता का अधिकार दिया गया, बल्कि देश की सेना में शामिल होने के लिए महिलाओं के लिए भी एक नया रास्ता बनाया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी के साथ अप्राकृतिक' यौन संबंध बनाने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द कर दिया.
दिवाली की छुट्टियां नजदीक आने और 10 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने से पहले सुनवाई पूरी करने के लिए न्यायालय के पास सीमित समय है, जिसे देखते हुए CJI DY Chandrachud ने इस मामले को सुनने से इंकार कर दिया है.
मैरिटल रेप मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में अपवाद की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि पति और पत्नी के बीच यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जाता है.
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रांची के अपर न्यायायुक्त की कोर्ट ने पत्नी के साथ उसके विरोध के बावजूद बार-बार सेक्सुअल रिलेशन बनाने के मामले में ट्रायल फेस कर रहे आरोपी (पति) को दोषी करार दिया है.
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