तभी माना जाएगा शादी के झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने का अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पृथ्वीराजन मामले के फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाने का मामला साबित करने के लिए ये दो शर्तें पूरी होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पृथ्वीराजन मामले के फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाने का मामला साबित करने के लिए ये दो शर्तें पूरी होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया, क्योंकि रिकॉर्ड पर रखे साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने पाया कि महिला ने अपनी इच्छा से आरोपी के साथ होटल गई थी.
ट्रायल कोर्ट ने शख्स को आरोप मुक्त कर दिया था और कहा कि ये शादी करने के वादे के उल्लंघन का मामला है, न कि शादी करने का झूठा वादा. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की.
महिलाओं की सुरक्षा हेतु IPC की धारा 376 के तहत दायर एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि कई महिलाओं ने इस कानून को हथियार बना लिया है और इसका दुरुपयोग हो रहा है.
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
Muzaffarnagar दंगे में ना केवल शहर जला, बल्कि कई लोगों की जान चली गई वहीं सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध को भी अंजाम दिया गया था. जिस पर अब जाकर दोषियों की सजा मुकर्रर की गई है.
SESSIONS COURT DINDOSHI ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में पीड़िता दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करते समय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में भरोसमंद और विश्वसनीय नहीं लगती है और इस प्रकार, आरोपी द्वारा जबरन यौन हमले के बारे में उचित संदेह है.
ट्रायल कोर्ट ने शख्स को आरोप मुक्त कर दिया था और कहा कि ये शादी करने के वादे के उल्लंघन का मामला है, न कि शादी करने का झूठा वादा. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की.
महिलाओं की सुरक्षा हेतु IPC की धारा 376 के तहत दायर एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की है कि कई महिलाओं ने इस कानून को हथियार बना लिया है और इसका दुरुपयोग हो रहा है.
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
SESSIONS COURT DINDOSHI ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में पीड़िता दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करते समय मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में भरोसमंद और विश्वसनीय नहीं लगती है और इस प्रकार, आरोपी द्वारा जबरन यौन हमले के बारे में उचित संदेह है.
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया, क्योंकि रिकॉर्ड पर रखे साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने पाया कि महिला ने अपनी इच्छा से आरोपी के साथ होटल गई थी.