Bihar Land Survey: पैतृक संपत्ति का मौखिक बंटवारा नहीं होगा मान्य
भूमि सर्वेक्षण अधिकारी ने बताया कि पारिवारिक भूमि रिकॉर्ड बनाने के लिए विभाजन का पंजीकृत दस्तावेज़ आवश्यक है. मौखिक समझौते या अपंजीकृत दस्तावेज़ों का कोई महत्व नहीं है.
भूमि सर्वेक्षण अधिकारी ने बताया कि पारिवारिक भूमि रिकॉर्ड बनाने के लिए विभाजन का पंजीकृत दस्तावेज़ आवश्यक है. मौखिक समझौते या अपंजीकृत दस्तावेज़ों का कोई महत्व नहीं है.
पैतृक संपत्ति में ऊपर की तीन पीढ़ियों की संपत्ति शामिल होती है. यानी, पिता को उनके पिता यानी दादा और दादा को मिले उनके पिता यानी पड़दादा से मिली संपत्ति हमारी पैतृक संपत्ति है. पैतृक संपत्ति में पिता द्वारा अपनी कमाई से अर्जित संपत्ति शामिल नहीं होती है.
फिल्म शोले के डायरेक्टर व फिल्ममेकर रमेश सिप्पी पैतृक संपत्ति में दावेदारी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर अंतरिम याचिका दायर में अपनी पैतृक संपत्ति के लिए कोर्ट रिसीवर नियुक्त करने की मांग की थी जिसे उच्च न्यायायल ने खारिज किया है.
पैतृक संपत्ति क्या है, इसमें किसे और कैसे अधिकार मिलता है, इसके लिए कानून में क्या प्रावधान हैं, आइए जानते हैं...
हमारे देश में कृषि भूमि अथवा आवासीय भूमि का हस्तांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को होता है.
किसी भी मामले को शांति से भी बैठ कर सुलझाया जा सकता है लेकिन लालच ऐसा करने से रोकती है इसलिए कई बार जब बात पैतृक संपत्ति के बंटवारे की बात आती है तब कई घरों में खून खराबा भी हो जाता है.
संपत्ति दो प्रकार की होती है- एक विरासत में मिली हुई और दूसरी खुद कमाई हुई. खुद कमाई हुई संपत्ति पर तो केवल खुद का अधिकार होता है परन्तु पैतृक संपत्ति के मामले में ऐसा नहीं है. पैतृक संपत्ति से जुड़े अधिकार के कानून थोड़ा पेचिदा है.
पैतृक संपत्ति क्या है, इसमें किसे और कैसे अधिकार मिलता है, इसके लिए कानून में क्या प्रावधान हैं, आइए जानते हैं...
पैतृक संपत्ति में ऊपर की तीन पीढ़ियों की संपत्ति शामिल होती है. यानी, पिता को उनके पिता यानी दादा और दादा को मिले उनके पिता यानी पड़दादा से मिली संपत्ति हमारी पैतृक संपत्ति है. पैतृक संपत्ति में पिता द्वारा अपनी कमाई से अर्जित संपत्ति शामिल नहीं होती है.
फिल्म शोले के डायरेक्टर व फिल्ममेकर रमेश सिप्पी पैतृक संपत्ति में दावेदारी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर अंतरिम याचिका दायर में अपनी पैतृक संपत्ति के लिए कोर्ट रिसीवर नियुक्त करने की मांग की थी जिसे उच्च न्यायायल ने खारिज किया है.
किसी भी मामले को शांति से भी बैठ कर सुलझाया जा सकता है लेकिन लालच ऐसा करने से रोकती है इसलिए कई बार जब बात पैतृक संपत्ति के बंटवारे की बात आती है तब कई घरों में खून खराबा भी हो जाता है.
संपत्ति दो प्रकार की होती है- एक विरासत में मिली हुई और दूसरी खुद कमाई हुई. खुद कमाई हुई संपत्ति पर तो केवल खुद का अधिकार होता है परन्तु पैतृक संपत्ति के मामले में ऐसा नहीं है. पैतृक संपत्ति से जुड़े अधिकार के कानून थोड़ा पेचिदा है.