सेक्सटॉर्शन क्या है? किन धाराओं के तहत होगी शिकायत दर्ज
सेक्सटॉर्शन (Sextortion) एक डिजिटल ट्रैप (Digital trap) है.अगर इंटरनेट सर्फिंग के दौरान सावधानी नहीं रखते हैं तो इस डीजीटल दौर में सेक्सटॉर्शन अपराध का शिकार बन सकते हैं.
सेक्सटॉर्शन (Sextortion) एक डिजिटल ट्रैप (Digital trap) है.अगर इंटरनेट सर्फिंग के दौरान सावधानी नहीं रखते हैं तो इस डीजीटल दौर में सेक्सटॉर्शन अपराध का शिकार बन सकते हैं.
जहां एक एनिमेटेड फिल्म के माध्यम से शिकायत करने के फैसले को सही बताया जाता है और मदद का भरोसा दिया जाता है।इस पेज पर एक ऐरो के चिन्ह को दबाने के बाद आपको तस्वीरों का ऑपशन मिलेंगे।जिसमें से एक को चुनकर आपको अपराध के बारे में बताना होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि POCSO मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जब भी पीड़िता अदालत में पेश होती है, उस समय उसके साथ सहयोगी व्यक्ति को साथ रहने देना चाहिए ताकि उससे उसे मनोवैज्ञानिक सहायता मिल सके.
बाल शोषण के खिलाफ शिकायत दर्ज कर बच्चों को उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार से बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है. 'शिकायत कहां करें' की समस्या को सुलभ करने के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने POCSO E-BOX ऑनलाइन सुविधा शुरू की.
किसी बच्चे को उसके साथ होने वाले दुर्व्यवहार से बचाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है. बच्चों के साथ होने वाले छेड़छाड़, रेप, यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों की जानकारी होने पर शिकायत दर्ज कराना एक जागरूकग नागरिक का कर्तव्य है.
POCSO(The Protection of Children from Sexual Offences) Act बच्चों के खिलाफ हो रहे यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा करता है और इसके मामलों में बच्चों को उचित नयाय दिलाने का प्रयास करता है. इसके तहत अपराधों को दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया उपल्बध कराई गई है.
POCSO Act के तहत अपराधों को दर्ज कराने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया उपल्बध कराई गई है, जिससे बच्चों को ऐसे अपराधों के लिए शिकायत करने में मदद मिले और उन्हें उचित न्याय मिल सके. इस प्रक्रिया में बच्चे को सुरक्षित और उनकी पहचान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है.
पॉक्सो (POCSO) एक्ट का उद्देश्य बच्चों को सभी प्रकार के यौन शोषण से बचाना और पीड़ित बच्चों को उचित न्याय दिलाना है. इस कानून के तहत यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से बच्चों की सुरक्षा के संबंध में प्रावधान हैं. यह अधिनियम यौन शोषण के पीड़ितों के लिए एक मजबूत न्याय तंत्र प्रदान करता है और बाल अधिकारों और सुरक्षा के महत्व पर जोर देता है.
8 साल की मासूम बच्ची से रेप और हत्या के मामले में दोषी की मौत की सजा को बदलकर उम्रकैद करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कई टिप्पणियां की थी. इस मामले में राजस्थान पुलिस पर वाहवाही लेने के चक्कर में निर्दोष को फंसाने का भी आरोप लगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगाते हुए कैदी राहुल को भी नोटिस जारी करते हुए पुछा हैं क्यों ना उन्हे मिली पैरोल को रद्द किया जाए.
पीड़िता की पहचान जाहिर करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में पॉक्सो एक्ट के तहत अल जजीरा सहित 23 मीडिया घरानों पर कोर्ट ने 10-10 लाख का जुर्माना लगाया था. अब तक 21 संस्थान हाईकोर्ट के आदेश की पालना कर चुके है.