Prisons Act में फांसी की सजा पाए व्यक्ति को जेल में रखने का क्या है प्राविधान?
जिन कैदियों को फांसी की सजा सुनाई जाती है, उन्हे जेल में रखने के तरिके सबसे अलग होते हैं
जिन कैदियों को फांसी की सजा सुनाई जाती है, उन्हे जेल में रखने के तरिके सबसे अलग होते हैं
बच्ची को बिस्किट खिलाने का लालच देकर दोषी अपने साथ ले गया फिर...
शख्स ने अपनी पत्नी, साली और दस साल से कम उम्र वाले तीन बच्चों की कुल्हाड़ी से की हत्या! क्या थी वजह और अदालत ने सुनाई क्या सजा, जानें
हरियाणा के एक कोर्ट ने रेप और मर्डर के मामले में दो आरोपियों को मृत्यु दंड दिया है। मामला क्या था और इसपर अदालत का क्या कहना है, जानिए
पिछले 27 सालों से जेल में बंद राजोआना अब 56 साल का हो गया हैं. बलवंत सिंह राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने Supreme Court में कहा कि मौत की सज़ा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है.
केंद्र की ओर से AG आर वेंकटरमनी ने अदालत में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार इस बात की जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने पर विचार कर रही है कि कानून के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार फांसी की सजा पाने वाले सजायाफ्ता कैदियों को फांसी देने के लिए कम दर्दनाक तरीका खोजा जा सकता है या नहीं.
Bombay High Court ने 9 लोगो की मौत के दोषी की मौत की सजा को बदलकर आजीवन उम्रकैद में कर दिया था, क्योकि राज्य सरकार द्वारा उसकी दया याचिका पर 7 साल 10 माह बाद भी फैसला नही लिया गया
Karnataka High Court के Justice M Nagaprasanna ने मामले को विशेष परिस्थितियों का बताते हुए जेल अधिकारियों को दोषी आनंद को विवाह के लिए 5 अप्रैल से 20 अप्रैल की अवधि के लिए रिहा करने का आदेश दिया.
NCLAT चैयरमेन जस्टिस अशोक भूषण और तकनीकी सदस्य डॉ आलोक श्रीवास्तव की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि CCI द्वारा Google के आचरण में की गई जांच प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है.
राजस्थान के बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ तहसील के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय, जलाबसर से मिले दस्तावेजो के अनुसार दोषी की उम्र अपराध के समय 12 वर्ष 6 माह होना निर्धारण किया गया. जुवेनाईल जस्टिस एक्ट के अनुसार बाल अपराधी की अधिकतम सजा 3 साल तक की हो सकती है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है.
CJI की पीठ ने Advocate ऋषि मल्होत्रा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए है. इस याचिका में देश में फांसी से मौत की सजा देने के चलन को खत्म करने और इसके बजाय इंजेक्शन या बिजली के झटके जैसे वैकल्पिक तरीकों को अपनाने का अनुरोध किया गया है.
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में आतंकी मोहम्मद आरिफ की याचिका पर ही ऐतिहासिक फैसला दिया था कि फांसी की सज़ा पाए दोषियों की पुनर्विचार याचिका ओपन कोर्ट में सुनी जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने मासूम बच्चे के हत्यारें की रिव्यू याचिका पर इसी फैसले की नजीर के तहत सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है.
पिछले 27 सालों से जेल में बंद राजोआना अब 56 साल का हो गया हैं. बलवंत सिंह राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने Supreme Court में कहा कि मौत की सज़ा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है.
केंद्र की ओर से AG आर वेंकटरमनी ने अदालत में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार इस बात की जांच करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने पर विचार कर रही है कि कानून के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार फांसी की सजा पाने वाले सजायाफ्ता कैदियों को फांसी देने के लिए कम दर्दनाक तरीका खोजा जा सकता है या नहीं.
Bombay High Court ने 9 लोगो की मौत के दोषी की मौत की सजा को बदलकर आजीवन उम्रकैद में कर दिया था, क्योकि राज्य सरकार द्वारा उसकी दया याचिका पर 7 साल 10 माह बाद भी फैसला नही लिया गया
Karnataka High Court के Justice M Nagaprasanna ने मामले को विशेष परिस्थितियों का बताते हुए जेल अधिकारियों को दोषी आनंद को विवाह के लिए 5 अप्रैल से 20 अप्रैल की अवधि के लिए रिहा करने का आदेश दिया.
NCLAT चैयरमेन जस्टिस अशोक भूषण और तकनीकी सदस्य डॉ आलोक श्रीवास्तव की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि CCI द्वारा Google के आचरण में की गई जांच प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है.
राजस्थान के बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ तहसील के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय, जलाबसर से मिले दस्तावेजो के अनुसार दोषी की उम्र अपराध के समय 12 वर्ष 6 माह होना निर्धारण किया गया. जुवेनाईल जस्टिस एक्ट के अनुसार बाल अपराधी की अधिकतम सजा 3 साल तक की हो सकती है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है.
CJI की पीठ ने Advocate ऋषि मल्होत्रा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए है. इस याचिका में देश में फांसी से मौत की सजा देने के चलन को खत्म करने और इसके बजाय इंजेक्शन या बिजली के झटके जैसे वैकल्पिक तरीकों को अपनाने का अनुरोध किया गया है.
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में आतंकी मोहम्मद आरिफ की याचिका पर ही ऐतिहासिक फैसला दिया था कि फांसी की सज़ा पाए दोषियों की पुनर्विचार याचिका ओपन कोर्ट में सुनी जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने मासूम बच्चे के हत्यारें की रिव्यू याचिका पर इसी फैसले की नजीर के तहत सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है.