चोरी-छिपे महिला की तस्वीरें खींचना कब Voyeurism का अपराध नहीं है! Kerala HC के फैसले से पूरी बात समझिए
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पब्लिक या प्राइवेट प्रॉपर्टी में खड़ी महिला की इजाजत के बिना फोटो खींचना Voyeurism के तहत अपराध नहीं है, लेकिन...
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पब्लिक या प्राइवेट प्रॉपर्टी में खड़ी महिला की इजाजत के बिना फोटो खींचना Voyeurism के तहत अपराध नहीं है, लेकिन...
हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि ईमेल में लिखे शब्द, हावभाव से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना आईपीसी सेक्शन 509 के तहत अपराध है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ये ईमेल आरोपी ने व्यक्तिगत रूप से भेजकर महिला की प्राइवेसी को भंग करने के साथ-साथ उसकी आत्मसम्मान, गरिमा को भी ठेस पहुंचाया है.
अराजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए कहा कि सेक्शन 354 (शील भंग करने का प्रयास) से जुड़े मामले में सेक्शन 376 (रेप से जुड़ा मामला) के तहत अपराध नहीं बनता है, लेकिन आरोपी के खिलाफ शील भंग करने के आरोप को बरकरार रखा.
केरल की एक अदालत ने एक फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी की है; अदालत ने कहा है कि यदि कोई शख्स बिना किसी 'लस्टफुल इंटेंशन' के महिला का हाथ पकड़ता है या उसे धमकाता है तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत दंडनीय नहीं है..
Supreme Court ने श्रीनिवास को 50 हजार के मुचलके पर अंतरिम जमानत देते हुए असम सरकार को भी नोटिस जारी किया है. श्रीनिवास ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
Gauhati High Court ने श्रीनिवास बीवी केा अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज करने के साथ ही उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द करने से इंकार कर दिया है.
किसी महिला की सहमति के बिना उसके शरीर के किसी भी हिस्से को छूना IPC की धारा 354 के तहत दंडनीय अपराध है और यह महिला का शील भंग करने के बराबर है. बॉम्बे हाईकोर्ट ऐसे ही एक मामले में बिना सहमति महिला का पैर छूने पर एक साल की सजा पर मुहर लगाई थी.
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अनुसार शील भंग करना एक गंभीर अपराध है. इस तरह के अपराध को संज्ञेय, गैर - जमानती और गैर शमनीय माना जाता है.शील महिलाओं की वो भावना है जो एक महिला होने के नाते वो महसूस करती है.
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पब्लिक या प्राइवेट प्रॉपर्टी में खड़ी महिला की इजाजत के बिना फोटो खींचना Voyeurism के तहत अपराध नहीं है, लेकिन...
हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि ईमेल में लिखे शब्द, हावभाव से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना आईपीसी सेक्शन 509 के तहत अपराध है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ये ईमेल आरोपी ने व्यक्तिगत रूप से भेजकर महिला की प्राइवेसी को भंग करने के साथ-साथ उसकी आत्मसम्मान, गरिमा को भी ठेस पहुंचाया है.
अराजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए कहा कि सेक्शन 354 (शील भंग करने का प्रयास) से जुड़े मामले में सेक्शन 376 (रेप से जुड़ा मामला) के तहत अपराध नहीं बनता है, लेकिन आरोपी के खिलाफ शील भंग करने के आरोप को बरकरार रखा.
केरल की एक अदालत ने एक फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी की है; अदालत ने कहा है कि यदि कोई शख्स बिना किसी 'लस्टफुल इंटेंशन' के महिला का हाथ पकड़ता है या उसे धमकाता है तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत दंडनीय नहीं है..
Supreme Court ने श्रीनिवास को 50 हजार के मुचलके पर अंतरिम जमानत देते हुए असम सरकार को भी नोटिस जारी किया है. श्रीनिवास ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
Gauhati High Court ने श्रीनिवास बीवी केा अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज करने के साथ ही उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द करने से इंकार कर दिया है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अनुसार शील भंग करना एक गंभीर अपराध है. इस तरह के अपराध को संज्ञेय, गैर - जमानती और गैर शमनीय माना जाता है.शील महिलाओं की वो भावना है जो एक महिला होने के नाते वो महसूस करती है.