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ईमेल से महिला की गरिमा को पहुंची ठेस, बॉम्बे हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने से किया मना

हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि ईमेल में लिखे शब्द, हावभाव से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना आईपीसी सेक्शन 509 के तहत अपराध है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ये ईमेल आरोपी ने व्यक्तिगत रूप से भेजकर महिला की प्राइवेसी को भंग करने के साथ-साथ उसकी आत्मसम्मान, गरिमा को भी ठेस पहुंचाया है. 

बॉम्बे हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : August 23, 2024 9:49 AM IST

हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि ईमेल में लिखे शब्द, हावभाव से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना आईपीसी सेक्शन 509 के तहत अपराध है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने आगे कहा कि ये ईमेल आरोपी ने व्यक्तिगत रूप से भेजकर महिला की प्राइवेसी को भंग करने के साथ-साथ उसकी आत्मसम्मान, गरिमा को भी ठेस पहुंचाया है. आरोपी ने ईमेल भेजकर महिला की पर्सनल स्पेस में घुसपैठ कर उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने का काम किया है. बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट का ये निर्णय 2009 में दर्ज प्राथमिकी में आया है जिसमें आरोपी पर महिला ने साइबर कॉल के जरिए कथित यौन उत्पीड़न और धमकाने का आरोप लगाया है.

ईमेल के शब्द, हावभाव महिला की गरिमा को भंग करते हैं: बॉम्बे HC ने आईपीसी सेक्शन 509 के तहत FIR रखा बरकरार

बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस अजय गडकरी और नीला गोखले की खंडपीठ ने आरोपी के खिलाफ हुए एफआईआर को आंशिक रूप से रद्द किया है. जबकि आईपीसी के सेक्शन 509 और आईटी एक्ट के सेक्शन 67 के तहत मामले को बरकरार रखा है.

अदालत ने कहा,

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 "कानून का उद्देश्य अपराधी को कानून के चंगुल से बच निकलने की अनुमति नहीं देना है. आरोपी का 'इरादा' अपराध का मुख्य आधार है और उसने ईमेल के जरिए ने महिला की निजता में दखल देकर अपनी मंशा प्रदर्शित की."

अदालत को बताया गया कि आरोपी ने महिला की निजी जानकारी वाले ईमेल साझा करने के आरोप हैं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसके इरादे पर सवाल उठाते हुए उसके खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इंकार कर दिया है.

क्या है मामला?

पीड़ित महिला, जिनकी उम्र वर्तमान में 70 वर्ष है, की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की जाती है, प्राथमिकी में आरोपी पर ईमेल शेयर कर महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना, निजता भंग करना आदि के सुसंगत धाराओं में मामले को दर्ज किया गया. साल 2011 में आरोपी बॉम्बे हाईकोर्ट में इस केस को रद्द करने की मांग को याचिका दायर करता है. आरोपी के अदालत को बताया कि महिला ने प्राथमिकी दोनों के बीच की दुश्मनी का प्रतिशोध लेने के लिए किया है. आरोपी के इस दलील को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया और कहा कि अगर इस तरह की संकीर्ण व्याख्या को स्वीकार किया जाता है, तो कई पुरुष,  ईमेल भेजकर या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके किसी महिला को बदनाम कर और उसकी गरिमा को ठेस पहुँचाकर, कानून से बच निकलेंगे, अदालत ने FIR रद्द करने से मना कर दिया.

IPC section 509: शब्द, इशारा या कार्य के सहारे किसी स्त्री की गरिमा का अपमान करना- जो कोई किसी स्त्री की गरिमा का अपमान करने के उद्देश्य से कोई शब्द बोलेगा, कोई ध्वनि या इशारा करेगा, या कोई वस्तु प्रदर्शित करेगा, जिसका आशय यह हो कि ऐसा शब्द या ध्वनि उस स्त्री को सुनाई दे, या ऐसा इशारा या वस्तु उस स्त्री को दिखाई दे, या वह उस स्त्री की प्राइवेसी में दखल देगा, वह साधारण कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा.