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चोरी-छिपे महिला की तस्वीरें खींचना कब Voyeurism का अपराध नहीं है! Kerala HC के फैसले से पूरी बात समझिए

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पब्लिक या प्राइवेट प्रॉपर्टी में खड़ी महिला की इजाजत के बिना फोटो खींचना Voyeurism के तहत अपराध नहीं है, लेकिन...

केरल हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : November 6, 2024 12:18 PM IST

किसी जगह, पब्लिक या प्राइवेट प्लेस में,  महिला की इजाजत के बिना उसकी फोटो खींचना अपराध है, लेकिन ऐसा करना तांक-झांक करने (Voyeurism) का अपराध है या नहीं? केरल हाईकोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी की है. केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पब्लिक या प्राइवेट प्रॉपर्टी में खड़ी महिला की इजाजत के बिना फोटो खींचना Voyeurism के तहत अपराध नहीं है, तांक-झांक करने का अपराध तभी होगा जब महिला अपना निजी काम कर रही हो और उसे किसी के देखे जाने या रिकार्ड नहीं किए का विश्वास हो, तब अगर कोई व्यक्ति बिना इजाजत इसे रिकार्ड करता है तो इसे Voyeurism का अपराध माना जाएगा. आइये जानते हैं कि सुनवाई के दौरान केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में क्या फैसला सुनाया...

मामला 2022 का है जिसमें दो आरोपियों ने घर से बाहर खड़ी महिला का उसकी इजाजत के बिना फोटो खींची. महिला ने दोनों लड़को के इस कृत्य से आपत्ति जताई. इसी को लेकर दोनों पक्षों के बीच झगड़ा हुआ, जिसे लेकर महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत के आधार पर दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (सी) तांक-झांक करने का अपराध और आईपीसी की धारा 509 (हाव भाव आदि जेस्चर से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) के तहत एफआईआर दर्ज किया. अब दोनों आरोपियों ने केरल हाईकोर्ट से अपराध को रद्द करने की मांग की.

प्राइवेट एक्ट में लिप्त महिला की फोटो लेना अपराध

केरल हाईकोर्ट में जस्टिस बदरूद्दीन की पीठ ने दोनों आरोपियों की याचिका को सुना. दोनों याचिकाकर्ताओं ने अपने खिलाफ हुए तांक-झांक करने के अपराध (Voyeurism) का मामला रद्द करने की मांग की थी. केरल हाईकोर्ट ने इस कृत्य को Voyeurism का अपराध मानने से इंकार कर दिया. केरल हाईकोर्ट ने Voyeurism के अपराध की व्याख्या करते हुआ कि अगर कोई महिला किसी प्राइवेट एक्ट में लिप्त है तब किसी व्यक्ति द्वारा धोखे से उसका फोचो खींचना तांक-झांक करने (Voyeurism) का अपराध है, चूंकि यहां महिला किसी प्राइवेट एक्ट में संलिप्त नहीं थी, इसलिए आरोपियो को राहत दी जा सकती है.

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केरल हाईकोर्ट ने एफआईआर में से Voyeurism का अपराध हटाने के आदेश देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का ये कृत्य सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले को आकर्षित जरूर करता है. अदालत ने ट्रायल कोर्ट को फ्रेमिंग ऑफ चार्जेस के दौरान इस पर विचार करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावे अदालत ने आईपीसी सेक्शन 509 के तहत महिला के गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप को भी बरकरार रखा है.

BNS की धारा 77: Voyeurism का अपराध

Voyeurism यानि तांक-झांक करने का अपराध, आईपीसी की धारा 354 (सी)इसे अपराध मानती है. अब नए अपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 77 में इसे अपराध माना गया है. अगर कोई महिला किसी प्राइवेट एक्ट में संलग्न हैं, जहां उसे उम्मीद है कि कोई उसे देख नहीं रहा है और तब कोई इसे देख या रिकार्ड कर रहा है तो इसे तांक झांक करने का अपराध माना गया है. बीएनएस की धारा 77 के अनुसार, इसमें एक साल से लेकर तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है, साथ में अदालत जुर्माना भी लगा सकती है.