केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने वर्ष 2024 में 1,10,666 मामलों का निपटारा किया है, जिसमें से जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने सबसे अधिक 11,140 मामलों का निपटारा किया. केरल हाईकोर्ट ने इन मामलों को प्रभावशाली ढंग से निपटाया है जो लंबित मामलों को कम करने और समय पर न्याय प्रदान करने के अदालत के समर्पण को दर्शाता है. बता दें कि केरल हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 47 है, जिनमें 35 स्थायी न्यायाधीश और 12 अतिरिक्त न्यायाधीश शामिल हैं.
हाईकोर्ट से जुड़े एक न्यायिक अधिकारी ने PTI भाषा को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अदालत ने एक जनवरी से 27 दिसंबर, 2024 तक 1,10,666 मामलों का निपटारा किया है. जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने सबसे अधिक 11,140 मामलों का निपटान किया. उनके बाद न्यायमूर्ति सी एस डायस ने 8,320 मामलों का, न्यायमूर्ति नागरेश ने 6,756 मामलों का जबकि न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने 6,642 मामलों का निपटारा किया.
सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने 6,196 मामलों का निपटारा किया. उन्होंने बताया कि इस आंकड़े को हासिल करने में कई अन्य न्यायाधीशों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. इनमें न्यायमूर्ति डी के सिंह (5,140 मामले), न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास (4,872 मामले), न्यायमूर्ति पी गोपीनाथ ने (4,172 मामले), न्यायमूर्ति वी जी अरुण (3,739 मामले), न्यायमूर्ति बदरुद्दीन (3,435 मामले) और न्यायमूर्ति मुरली पुरुषोत्तमन (3,059 मामले) शामिल हैं .
यह आंकड़ा दर्शाता है कि केरल उच्च न्यायालय न केवल मामलों को तेजी से निपटाने में सक्षम है, बल्कि यह समय पर न्याय प्रदान करने के प्रति भी प्रतिबद्ध है. यह न्यायालय की कार्यप्रणाली की प्रभावशीलता को दर्शाता है और नागरिकों में न्याय के प्रति विश्वास को बढ़ाता है. केरल उच्च न्यायालय की इस उपलब्धि को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि न्यायालय ने अपने कार्यभार को प्रभावी ढंग से संभाला है. यह न केवल न्यायालय की कार्यक्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि न्याय सभी के लिए सुलभ हो.
(खबर पीटीआई भाषा के आधार पर लिखी गई है)