जानिए Marriage Registration की पूरी प्रक्रिया
प्रत्येक राज्य के नागरिकों के लिए सरकार द्वारा पंजीकरण के लिए आधिकारिक रुप से ऑनलाइन एव ऑफलाइन दोनों ही व्यवस्था है. जाने कैसे करें आवेदन
प्रत्येक राज्य के नागरिकों के लिए सरकार द्वारा पंजीकरण के लिए आधिकारिक रुप से ऑनलाइन एव ऑफलाइन दोनों ही व्यवस्था है. जाने कैसे करें आवेदन
सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित 44-वर्षीय महिला की सरोगेसी से मां बनने की मांग वाली याचिका को खारिज कर कहा देश में शादी जैसे संस्थान को बचाने की जरूरत है. जानें ये पूरा मामला...
जस्टिस पी बी बजंथरी और जस्टिस रमेश चंद मालवीय की बेंच ने एक व्यक्ति द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी को साथ रखने की मांग की थी, जिसे पटना हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया.
ट्रायल कोर्ट ने शख्स को आरोप मुक्त कर दिया था और कहा कि ये शादी करने के वादे के उल्लंघन का मामला है, न कि शादी करने का झूठा वादा. इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की.
Divorce Case: फैमिली कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर एक व्यक्ति को तलाक लेने की इजाजत दी थी. महिला ने इसके खिलाफ अपील किया था. अब हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी.
Pakadwa Vivah In Bihar: पटना हाईकोर्ट ने एक शादी को इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि दूल्हे को बंदूक की नोक पर शादी करने के लिए मजबूर किया गया था और सात फेरे भी नहीं लिए गए थे.
Divorce Case: अगर पति बिना किसी पर्याप्त कारण के पत्नी को अलग रखना चाहता है और पत्नी इसका विरोध कर रही है तो ये क्रूरता नहीं है.
Supreme Court Verdict On Same Sex Marriage: CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सभी को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है.
Divorce Case: सप्तपदी एक अनुष्ठान है जहां हिंदू विवाह समारोह के दौरान दूल्हा और दुल्हन एक साथ पवित्र अग्नि (हवन) के चारों ओर सात फेरे लेते हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह के अपूरणीय टूटने के आधार पर तलाक देने की शक्ति का प्रयोग केवल संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट कर सकता है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगमोहन सिंह की अदालत ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा मामले में बलात्कार का अपराध नहीं बनता है क्योंकि आरोपी और पीड़िता कानूनी रूप से विवाहित हैं।’’
एक मामले में सुनवाई के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) का यह कहना है कि एक पति यदि अपनी पत्नी को इसलिए अपमानित करता है क्योंकि उसकी त्वचा का रंग काला है, तो इसे क्रूरता माना जाएगा...
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पर्सनल लॉ के तहत दूसरी शादी कर लेता है, तब भी वो अपनी पहली पत्नी की देखभाल और रख-रखाव के लिए बाध्य रहेगा...
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पर्सनल लॉ के तहत दूसरी शादी कर लेता है, तब भी वो अपनी पहली पत्नी की देखभाल और रख-रखाव के लिए बाध्य रहेगा...
पटना हाईकोर्ट के जस्टिस कुमार और जस्टिस बजनथरी की पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत इन परिस्थितियों में तलाक नहीं लिया जा सकता है।
बंबई उच्च न्यायालय में हाल ही में एक मामला सामने आया जिसकी सुनवाई के दौरान अदालत का यह अवलोकन है कि देश में शारीरिक संबंध बनाने हेतु रजामंदी की उम्र (Age of Consent), शादी की कानूनी उम्र (Age of Marriage) से कम होनी चाहिए..
एक भारतीय होकर आप किसी विदेशी महिला या पुरुष से शादी करना चाहते हैं तो आप यह कैसे कर सकते हैं? विदेशी से शादी करने का संविधान में क्या प्रावधान है, इस शादी को किस तरह कानूनी वैधता मिलेगी, जानिए..
सरला मुद्गल और अन्य के ऐतिहासिक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मुद्दे की विस्तार से जांच की गई थी । इसने कानून को हराने के लिए धर्म बदलने वाले लोगों के अधिकारों, कर्तव्यों और दायित्वों के बारे में अस्पष्टता का समाधान किया।
गुरूवार को सभी पक्षो की बहस सुनने के बाद संविधान पीठ की ओर से सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ फैसला सुरक्षित रखने की घोषणा की.
समलैगिंग विवाह की कानूनी मान्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को वैवाहिक स्थिति के बावजूद बच्चे को गोद लेने की अनुमति देते हैं.
समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर दायर करीब 20 याचिकाओं पर Supreme Court की 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है.सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने समिति को लेकर जानकारी दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शादी का जारी रहना असंभव होने की स्थिति (irretrievable breakdown of marriage) में सुप्रीम कोर्ट सीधे अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकता है.
हाईकोर्ट ने कहा कि जीवित रहते भरण-पोषण का बकाया मृत बेटी की संपत्ति थी और उसकी मृत्यु के बाद, कानूनी अभिभावक होने के नाते उसकी मां इस संपत्ति की हकदार है.
केन्द्र सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया कि याचिकाएं "सामाजिक स्वीकृति के उद्देश्य के लिए केवल शहरी अभिजात्य विचारों" का प्रतिनिधित्व करती हैं और विधायिका को समाज के सभी वर्गों के व्यापक विचारों पर विचार करना होगा. केन्द्र सरकार के इसी दलील का सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जवाब दिया है.
हलफनामे में केन्द्र ने कहा है कि वर्तमान मामले में संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों के विधायी अधिकार और राज्यों के निवासियों के अधिकार शामिल हैं और इसलिए सभी राज्यों को भी इस सुनवाई में शामिल किया जाना चाहिए.
समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान सीजेआई और केन्द्र सरकार के एसजी तुषार मेहता के बीच दिलचस्प बहस भी देखने को मिली.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाएं दायर की गईं.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी. पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.
अपने तर्क के सहमत जमीयत ने याचिका में कहा है कि याचिकाकर्ता Same-sex marriage की अवधारणा पेश करके एक फ्री-फ्लोटिंग सिस्टम शुरू करने और विवाह जैसी स्थिर संस्था की अवधारणा को कमजोर करने की मांग कर रहे है.
याचिका में पुरुषों के बराबर महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 21 करने की मांग की गई थी. भाजपा नेता और अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर ऐसी ही याचिका को सुप्रीम कोर्ट फरवरी माह में खारिज कर चुका है.
मुस्लिम महिलाओं को अपने पति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर धारणाधिकार का अधिकार है जब तक कि उसे मेहर की राशि का भुगतान नहीं किया जाता. यह अधिकार पत्नी द्वारा केवल तभी तक प्रयोग किया जा सकता है जब पति की मृत्यु हो गई हो और पत्नी को उसका मेहर नहीं मिला हो.
रविवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए अपने जवाब में केन्द्र सरकार ने कहा है कि समान लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा यौन संबंध रखना और समलैंगिक विवाह भारतीय परिवार की अवधारणा में शामिल नहीं है.
शादी के बाद जब पति पत्नी के बीच ताल मेल नहीं बैठ पाता तो वो कानून का सहारा लेते हैं. ताकि अलग होकर वो अपनी मर्जी से अपना जीवन जी सकें. कानूनी भाषा में इसे तलाक लेना कहते हैं. तलाक लेने और देने के लिए भी अदालत वजह मांगती है. बिना कोई ठोस कारण कोई किसी को तलाक नहीं दे सकता है.
तलाक को हमारा समाज बहुत अच्छी नजरों से नहीं देखता है इसलिए जब भी कोई महिला तलाक के बारे में सोचती है तो सबसे पहले वो यही सोचती है कि समाज क्या कहेगा लेकिन महिलाएं इन सबसे ऊपर उठ रही हैं क्योंकि महिलाएं अब जागरूक हो रही है अपने अधिकारों के प्रति.
विवाह के लिए समान आयु को लेकर दायर अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज. सीजेआई ने कहा कि अदालत एक राजनीतिक मंच नहीं है.
Mohammedan कानून के अनुसार, इस्लाम में दो तरह के विवाह का उल्लेख है- निकाह और मुता विवाह. निकाह तथा मुता विवाह दोनों ही एक वैवाहिक अनुबंध है. परन्तु ये एक दूसरे से कई कारणों से भिन्न पाए जाते है.