जस्टिस सूर्यकांत SC के कानूनी सेवा समिति अध्यक्ष, तो जस्टिस बीआर गवई NALSA के अध्यक्ष बनाए गए
CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट के विधिक सेवा समिति का नया अध्यक्ष तो वहीं जस्टिस बीआर गवई को NALSA का अध्यक्ष बनाया है.
CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस सूर्यकांत को सुप्रीम कोर्ट के विधिक सेवा समिति का नया अध्यक्ष तो वहीं जस्टिस बीआर गवई को NALSA का अध्यक्ष बनाया है.
जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कलकत्ता हाईकोर्ट में जज के रूप में सेवा देने के दौरान अपने कार्यकाल को याद किया. मैंने जवाब तलब की, उस समय नालसा, राज्य विधिक प्राधिकरण और सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा ने तक ने फंड की कमी का दावा करते हुए गरीब वादी की मदद मुहैया कराने में असमर्थता जताई. और आज नालसा के इस भव्य कॉन्फ्रेंस में जजों को फाइव स्टार होटल में ठहराने की व्यवस्था की है जो बिल्कुल ही अलग है.
दिल्ली सरकार ने अपने लीगल सर्विस और वकीलों का बकाया चुकाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिशानिर्देश देने की मांग की है. याचिका में दिल्ली सरकार ने ये भी आरोप लगाया है कि केन्द्र राज्य का पक्ष रखने वाले वकीलों को चुनने में भी हस्तक्षेप कर रहा है.
उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई जिसमें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई हेतु एक 'कास्ट नूट्रल बेंच' की मांग की गई। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ खारिज किया है बल्कि याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया है...
श्रीनगर में आयोजित हुए '19वें अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण सम्मेलन' में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कानूनी संस्थानों में महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की भी बात कही.
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मुफ़्त में किस तरह आप न्याय पा सकते हैं, सरकार आपके वकील का खर्च कब और क्यों उठाएगी, जानिए भारत में निःशुल्क विधिक सहायता के प्रावधान
राजधानी दिल्ली में भी दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दिल्ली की करीब 351 अदालतों में लोक अदालत का आयोजन करते हुए 1 लाख 66 हजार से अधिक मामलो का निस्तारण किया.
CJI ने कहा कि मध्यस्थता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें असहमति को दूर करना, विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाना और एक सामान्य आधार खोजना शामिल है.
Supreme Court ने मामले में राज्य सरकार को बेहद सख्त शब्दों में फटकार लगाते हुए वेदांता के अनिल अग्रवाल फाउंडेशन पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है.
कानून और न्याय सबके लिए है. ऐसा खुद कानून कहती है. किसी को पाने में गरीबी रुकावट न बने इसके लिए विधिवेत्ताओं ने एक बेहतरीन रास्ता निकाला है.
देश की न्यायपालिका में 1980 से 1990 का दशक बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योकि यही वक्त था जब देश की न्यायपालिका में आम जनता से जुड़े मुद्दो की सुनवाई को लेकर आवाजे उठने लगी. गरीब और वंचित वर्ग की पहुंच न्याय तक बनाने के लिए देश के विधिवेताओं ने एक नए कानून की ओर कदम बढाया, जो Legal Services Authorities Act, 1987 के रूप में सामने आया.
यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को दिए जाने वाले मुआवजे में भिन्नता के लिए यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और दिल्ली की सरकारो के साथ केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी जवाब मांगा है.
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