Delhi govt's Legal Cost: दिल्ली सरकार ने अपने लीगल सर्विस और वकीलों का बकाया चुकाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिशानिर्देश देने की मांग की है. याचिका में दिल्ली सरकार ने ये भी आरोप लगाया है कि केन्द्र राज्य का पक्ष रखने वाले वकीलों के सेलेक्शन प्रोसेस में भी हस्तक्षेप कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को निर्देश दिया कि वे इस विषय को सम्मान का मुद्दा नहीं बनाए, दिल्ली सरकार के लीगल सर्विस और वकीलों के बकाये को भी जल्द से चुकाए. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को चार सप्ताह के अंदर जवाब देने का समय देते हुए सुनवाई को जुलाई तक के लिए टाल दिया है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की खंडपीठ ने इस मामले को सुना. बेंच ने विषय की गंभीरता उठाते हुए केन्द्र सरकार को कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. सुनवाई के दौरान केन्द्र का पक्ष रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद रहे. वहीं दिल्ली सरकार की ओर एडवोकेट तल्हा अब्दुल रहमान ने याचिका दायर की है.
बेंच ने केन्द्र से कहा, इस विषय को सम्मान का मुद्दा ना बनाए. राज्य को अपना पक्ष रखने के लिए वकीलों को चुनने दें. दिल्ली सरकार के लीगल सर्विस और वकीलों के बकाये को चुकाएं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्र का पक्ष रखा. उन्होंने बेंच को आश्वास्त किया कि वे इस मामले की जांच कराएंगे. मेहता ने बेंच से मामले की अगली सुनवाई जुलाई में रखने की मांग भी की.
बेंच ने केन्द्र को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. वहीं, सुनवाई को जुलाई महीने के टाल दिया है.
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार के 10 अगस्त, 2017 जारी किए आदेश, उपराज्यपाल कार्यलय द्वारा पास किए गए दो आदेश को चुनौती दी है. उपराज्यपाल ने उपरोक्त दो आदेश 28 अप्रैल, 2021 और 16 फरवरी, 2024 को जारी किए हैं. याचिका के माध्यम से सरकार ने इन तीनों आदेश को चुनौती दी है.
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में सुप्रीम कोर्ट को अपनी परेशानी बताते हुए राहत की मांग की. दिल्ली सरकार ने बताया कि सरकार का पक्ष रखने वाले और लीगल सर्विस को चुकाने वाले बिल की चिट्ठी पर उपराज्यपाल (एलजी) साइन नहीं कर रहे हैं. साथ ही केन्द्र द्वारा राज्य का पक्ष रखने वाले वकीलों के चयन में भी हस्तक्षेप करने की बात भी कहीं है.