अदालतों में लॉ इंटर्न के लिए ड्रेस कोड तय- जानिए क्या पहनना होगा
इंटर्न बार काउंसिल ऑफ दिल्ली द्वारा निर्धारित काली टाई, काली पैंट और सफेद शर्ट के साथ अदालत परिसर में प्रवेश कर सकते हैं
इंटर्न बार काउंसिल ऑफ दिल्ली द्वारा निर्धारित काली टाई, काली पैंट और सफेद शर्ट के साथ अदालत परिसर में प्रवेश कर सकते हैं
जब भी किसी अनुबंध की बात आती है तो साथ में कुछ नियम और शर्तें भी आती हैं. जिसका पालन करने के लिए हर पक्ष बाध्य होता है. भारतीय संविदा अधिनियम के तहत एक ऐसे अनुबंध का जिक्र किया गया है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
जस्टिस प्रतिभासिंह की एकलपीठ ने कहा कि लॉ इंटर्न दिल्ली बार काउंसिल द्वारा निर्धारित सफेद शर्ट, काली टाई और काली पैंट पहनकर राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसर में प्रवेश कर सकते हैं.
लेखक डॉ अभिनव शर्मा पेशे से एक अधिवक्ता और संवैधानिक विषयों के विशेषज्ञ हैं.वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट में प्रेक्टिसरत डॉ शर्मा राजस्थान सरकार के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता भी रहे है. डॉ शर्मा टाईम्स आफ इंडिया, आकाशवाणी, दूरदर्शन, पीटीआई सहित कई संस्थाओं में विधि क्षेत्र की पत्रकारिता से जुड़े रहे है.
अगर आपके पेटेंट करवाये हुए वस्तु, खोज या डिजाईन आदि का उपयोग बिना आपकी सहमति से कोई करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.
Mohammedan कानून के अनुसार, इस्लाम में दो तरह के विवाह का उल्लेख है- निकाह और मुता विवाह. निकाह तथा मुता विवाह दोनों ही एक वैवाहिक अनुबंध है. परन्तु ये एक दूसरे से कई कारणों से भिन्न पाए जाते है.
कोविड के बाद दुनियाभर में हजारों कंपनियों के कार्य में बदलाव आया है, कंपनियों को हुए नुकसान के बाद ऐसे अदालतों की जरूरत महसूस हो रही है जहां दोनों पक्षों के बीच आपसी समझाइश से आगे बढा जा सके. और भारत इस मामले में एक बेहतर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन हब के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है.
महिला के साथ दुष्कर्म अक्षम्य अपराध है क्योंकि पीड़ित महिला की स्थिति मृतप्राय हो जाती है अतः सामाजिक उत्पीड़न से बचाने के लिए उसकी पहचान की गोपनियता अनिवार्य है
भारत में पेटेंट का पहला कदम 1856 का अधिनियम VI था. कानून का मुख्य उद्देश्य था नए और उपयोगी मैन्युफैक्चरर से संबंधित आविष्कारों को प्रोत्साहित करना और आविष्कारकों को अपने आविष्कारों को दिखाने और जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करना था.
दुष्कर्म से जुड़े अपराधों के तहत पीड़ित के नाम या किसी भी ऐसी सूचना जिससे पीड़ित की पहचान का पता लगाया जा सके उसको प्रिंट या प्रकाशित करता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा.
लेकिन कई बार ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं, जहां कुछ उपद्रवी दूसरे धर्म के पूजा स्थलों को चोट पहुंचाते हैं या अपवित्र करते हैं या तो करने की कोशिश करते हैं।
Estoppel एक साक्ष्य का नियम है इसका प्रयोग ज़्यादातर बचाव रूप में किया जाता है. इस सिद्धांत की अवधारणा निष्पक्षता और तर्कशीलता की धारणाओं से संबंधित है, क्योंकि यह एक ऐसे व्यक्ति की रक्षा करने के लिए बनाई है, जो किसी अन्य व्यक्ति के वादे या प्रतिनिधित्व पर भरोसा करता है.
कई मामले देखने को मिलते हैं जिनमें लोग नकली पहचान पत्र को असली के रूप में इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह एक अपराध है और ऐसे अपराध में सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
राज्यपाल पद पर जस्टिस एस अब्दुल नजीर की नियुक्ति की कांग्रेस द्वारा की जा रही आलोचन पर केन्द्रीय कानून मंत्री ने जवाब दिया है. राष्ट्रपति ने रविवार को ही जस्टिस नजीर का आन्ध्रप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया है.
पूर्व सीजेआई जस्टिस ललित उस बात को दोहरा रहे थे जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर 2016 को भी एक याचिका की सुनवाई के दौरान दोहराया था. जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली जिस पीठ ने ये आदेश दिया था, जस्टिस यूयू ललित उस दो सदस्य पीठ के दूसरे सदस्य थे.
यदि कोई व्यक्ति किसी न्यायिक कार्यवाही (Judicial Proceeding) में ऐसे झूठे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करता है तो उसे अधिकतम 7 साल तक के कारावास और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है.
देश की सर्वोच्च अदालत में इन 2 जजों की नियुक्ति के साथ ही ये सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जजों की संख्या 34 हो गई है. यह तीसरी बार है जब देश की सर्वोच्च अदालत में जजों के बढाए गए पदों के बाद सभी वैकेंसी पूर्ण कर दी गई.
किसी कोर्ट द्धारा किसी मुजरिम को सजा-ए-मौत मिलने के बाद कोर्ट जेल प्रशासन को कैदी के लिए डेथ वारंट जारी करती है. वारंट जारी होने के 15 दिनों के अंदर किसी भी हाल में दोषी को फांसी दी जाती है.
केंद्र सरकार ने आधार के नियम में कुछ बदलाव किए हैं. जिसके तहत जब भी किसी व्यक्ति को आधार नंबर पाए हुए 10 साल हो जाए तो उसे अपडेट करना होगा. आप ऑनलाइन ही इसे अपडेट कर सकते हैं.
जस्टिस नजीर आगामी 4 जनवरी को सेवानिवृत होने जा रहे है. सेवानिवृत होन से पहले संभवतया जस्टिस नजीर इन तीनों मामलों जनवरी के प्रथम सप्ताह में फैसला सुना सकते है.
दुष्कर्म के बढे केसो के पीछे मुख्य कारण बदलता परिवेश और जनता के बीच जागरूकता सबसे बड़ा कारण है.दुष्कर्म के मामलो में सख्त प्रावधानों ने अपराधियों के बीच एक डर पैदा किया है.
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र संशोधन विधेयक 2022 (New Delhi International Arbitration Centre Bill-2022) पर सरकार का पक्ष रखते हुए कानून मंत्री रिजिजू ने राज्यसभा में ये बात कही. इस विधेयक को बुधवार 14 दिसंबर को ध्वनिमत से पारित किया गया.
चिकित्सा में आपराधिक लापरवाही केवल उन मामलों में उत्पन्न होती है जहां डॉक्टर से "घोर" लापरवाही हुई हो. घोर लापरवाही के आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कियाा जा सकता है तो वही लापरवाही पर मरीज को हुए नुकसान को लेकर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत मुआवजे के लिए भी मुकदमा दायर किया जा सकता है.
स्वीपर-कम-सैनिटरी कर्मचारी के पेंशन लाभ को लेकर तमिलनाडु सरकार द्वारा मुकदमें को लंबा खिचने के लिए किए गए प्रयासों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. सरकार पर 1 लाख रूपये का जुर्माना लगाते हुए चार सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी कल्याण संघ के खाते में जमा कराने के आदेश दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों द्वारा प्रदर्शन के दौरान अदालत में तोड़फोड़, न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ गैर मर्यादित भाषा का प्रयोग और पुलिसकर्मियों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर नाराजगी जताई.
IPC की धारा 100 के तहत एसिड अटैक के दौरान एक पीड़ित को ये अधिकार है कि वो अपनी आत्मरक्षा के लिए किसी भी हद जा सकता है यहां तक कि शरीर की निजी प्रतिरक्षा या आत्मरक्षा में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में भी कानून उसके साथ खड़ा होगा.
एक नागरिक अपने ऊपर हो रहे हमले को रोकने के लिए, दुष्कर्म, चोरी, डकैती, हमले में मृत्यु की आशंका, गंभीर चोट, अप्राकृतिक दुष्कर्म, अपहरण, एसिड हमले की आशंका की स्थिति में खुद को किसी भी हमले से बचाने के लिए हमलावर पर वार करना कोई अपराध नहीं माना जाता बल्कि यह एक अधिकार है.
चोरी के मोबाइल, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का प्रयोग करने को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 या आईटी एक्ट के तहत एक अपराध माना गया है.ऐसा व्यक्ति आईटी एक्ट की धारा 66 ख के तहत दोषी होगा.
किसी व्यक्ति के विश्वास का आपराधिक हनन करने वाले अपराधी को अमानत में खयानत करने के लिए IPC की धारा 406 में उसे दोषी घोषित किया जाता है. लेकिन इसके लिए अलग अलग पदों के अनुसार भी सजा का प्रावधान IPC की धारा 406, 407, 408 और 409 में अलग अलग किया गया है.
केरल के कानून मंत्री पी राजीव द्वारा पेश किया गया यूनिवर्सिटी कानून (संशोधन) (नंबर 2) विधेयक, 2022 राज्यपाल को यूनिवर्सिटी के पदेन वीसी के रूप में हटाने और राज्य सरकार को वीसी नियुक्त करने के लिए सशक्त बनाने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबंधित आठ अधिनियमों में संशोधन करने की अनुमति देता है.
कानून के अनुसार मान्यता प्राप्त स्थान पर प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा या किसी मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा ही गर्भपात कराया जा सकता है. व्यस्क महिला के मामले में गर्भपात के लिए महिला की सहमति आवश्यक है बगैर उसकी सहमति के गैरकानूनी गर्भपात माना जाएगा.
कोर्ट भी नागरिक जिस राज्य में निवास करता है उस राज्य से संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र याचिका भेज सकता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम भी पत्र याचिका सीधे सुप्रीम कोर्ट में दायर कर सकता है.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने ये कार्रवाई जजों के लिए असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करने, पुलिस अधिकारियों को धक्का देने और अदालती कार्यवाही में बाधा डालने के कार्य के लिए की है.
सड़क पर लापरवाही से वाहन चलाने के मामले में साबित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो अहम सबूत बने है. देश में अब इन मामलों में अदालतों से भी लगातार फैसले हो रहे है और लापरवाही से वाहन चलाने पर लोगों को जेल हुई है.
इस अधिनियम में किसी पुरुष द्वारा महिला के निजी कार्य करते समय, घर में या किसी और जगह फोटो खिंचवाने या वीडियो रिकॉर्ड करने या सिर्फ देखने की कोशिश में झाँकते हुए पकड़ा जाना भी अपराध है. होटलों में या वाशरूम में गुप्त कैमरा लगाकर महिला का फोटो, वीडियो या उसे देखने पर भी दोषी को 7 साल की सजा होगी.
कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जज दिवंगत जस्टिस सलिल कुमार दत्ता के घर 9 फरवरी, 1965 को जन्मे जस्टिस दीपांकर दत्ता का सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर 8 साल का कार्यकाल होगा. वे 8 फरवरी 30 इस पद पर रहेंगे. जस्टिस दत्ता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अमिताव रॉय के भी करीबी रिश्तेदार हैं.