Bombay High Court का फैसला, कहा- 'महिला को होगा Abortion चुनने का अधिकार'
लेकिन अदालत के जरिए इसकी मंजूरी ली जा सकती है। एक ऐसा ही वाक्या सामने आया है महाराष्ट्र से। जहां मेडिकल बोर्ड की लाख दलीलों के बावजूद अदालत ने महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी।
लेकिन अदालत के जरिए इसकी मंजूरी ली जा सकती है। एक ऐसा ही वाक्या सामने आया है महाराष्ट्र से। जहां मेडिकल बोर्ड की लाख दलीलों के बावजूद अदालत ने महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी।
कानून के अनुसार मान्यता प्राप्त स्थान पर प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा या किसी मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा ही गर्भपात कराया जा सकता है. व्यस्क महिला के मामले में गर्भपात के लिए महिला की सहमति आवश्यक है बगैर उसकी सहमति के गैरकानूनी गर्भपात माना जाएगा.
गर्भतवी महिलाओं को लेकर 1961 में बना मातृत्व अवकाश कानून पहला ऐतिहासिक बदलाव था जिसके द्वारा हमारे देश में कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई अधिकार दिए गए.2017 के मैटरनिटी बेनिफिट संशोधित ऐक्ट के बाद इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए है
लेकिन अदालत के जरिए इसकी मंजूरी ली जा सकती है। एक ऐसा ही वाक्या सामने आया है महाराष्ट्र से। जहां मेडिकल बोर्ड की लाख दलीलों के बावजूद अदालत ने महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी।
कानून के अनुसार मान्यता प्राप्त स्थान पर प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा या किसी मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा ही गर्भपात कराया जा सकता है. व्यस्क महिला के मामले में गर्भपात के लिए महिला की सहमति आवश्यक है बगैर उसकी सहमति के गैरकानूनी गर्भपात माना जाएगा.
गर्भतवी महिलाओं को लेकर 1961 में बना मातृत्व अवकाश कानून पहला ऐतिहासिक बदलाव था जिसके द्वारा हमारे देश में कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई अधिकार दिए गए.2017 के मैटरनिटी बेनिफिट संशोधित ऐक्ट के बाद इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए है