'जीवनसाथी को लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता'- जानिये अदालत ने ऐसा क्यों कहा
पति या पत्नी की तरफ से लंबे समय तक अपने जीवनसाथी के साथ बिना पर्याप्त कारण के यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना, अपने आप में मानसिक क्रूरता है.
पति या पत्नी की तरफ से लंबे समय तक अपने जीवनसाथी के साथ बिना पर्याप्त कारण के यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना, अपने आप में मानसिक क्रूरता है.
मद्रास हाईकोर्ट ने भरण पोषण के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जाने पूरा मामला
हाईकोर्ट ने कहा कि जीवित रहते भरण-पोषण का बकाया मृत बेटी की संपत्ति थी और उसकी मृत्यु के बाद, कानूनी अभिभावक होने के नाते उसकी मां इस संपत्ति की हकदार है.
हिन्दू परंपरा के अनुसार विवाह को दो आत्माओं का मिलन माना गया हैं, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता. लेकिन हिंदू विवाह अधिनियम ने हिंदू जोड़ों को कानूनी रूप से एक-दूसरे को तलाक देने का विकल्प दिया है.
शादी के बाद जब पति पत्नी के बीच ताल मेल नहीं बैठ पाता तो वो कानून का सहारा लेते हैं. ताकि अलग होकर वो अपनी मर्जी से अपना जीवन जी सकें. कानूनी भाषा में इसे तलाक लेना कहते हैं. तलाक लेने और देने के लिए भी अदालत वजह मांगती है. बिना कोई ठोस कारण कोई किसी को तलाक नहीं दे सकता है.
तलाक को हमारा समाज बहुत अच्छी नजरों से नहीं देखता है इसलिए जब भी कोई महिला तलाक के बारे में सोचती है तो सबसे पहले वो यही सोचती है कि समाज क्या कहेगा लेकिन महिलाएं इन सबसे ऊपर उठ रही हैं क्योंकि महिलाएं अब जागरूक हो रही है अपने अधिकारों के प्रति.
हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 द्वारा दी गई ये दो राहतें हैं जिससे विवाहित जोड़ों के बीच मतभेदों को दूर करने या वैवाहिक संबंधों से मुक्त होने का अवसर मिला है
जिन मैरिड कपल्स की आपस में नहीं बनती है वो अलगाव का रास्ता अपनाते हैं. जिसके लिए वो कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं. क्या आप जानते हैं कि कानूनी रूप से अलगाव के भी दो रास्ते हैं.
हमारे देश में शादी को सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है. कभी-कभी यह रिश्ता आपसी मनमुटाव या फिर समझ की कमी जैसे सामान्य सी बात को लेकर कुछ समय के बाद ही टूट जाता है और परिवार बिखर जाता है. इस तरह के मामलों में, एक महिला को अपने पति के साथ रहने और जीवन जीने के लिए मजबूर करने के लिए कानूनी कदम उठाने का पूरा अधिकार है. आपको बता दे कि ऐसा कानूनी अधिकार न केवल महिलाओं के लिए उपलब्ध है, बल्कि पुरुष भी इस अधिकार का लाभ उठा सकता है यदि उसकी पत्नी बिना किसी उचित कारण के दूर हो जाती है.
हमारे समाज मेंं जितनी तेजी से शादियां हो रही हैं उतनी ही तेजी से रिश्ते टूट भी रहे हैं. जो अपने रिश्ते से खुश नहीं होते तो वो तलाक का रास्ता अपनाते हैं लेकिन कुछ लोग बिना कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाए ही अलग हो जाते हैं.
इन - कैमरा के अंतर्गत हुई कार्यवाही को छापने और प्रकाशित करने की अनुमति किसी को नहीं है, अगर कोई इसे छापता है या प्रकाशित करता है तो वो सजा का पात्र होगा.