Family Court की भारतीय समाज में भूमिका
शादी करनी हो, तलाक लेनी हो या बच्चा गोद लेना इन सभी मामलों को फैमिली कोर्ट देखती है लेकिन क्या आपको पता है आजादी के कुछ साल तक फैमिली कोर्ट था ही नहीं, आईए जानते हैं फैमिली कोर्ट जुड़ी से दिलचस्प बातें.
शादी करनी हो, तलाक लेनी हो या बच्चा गोद लेना इन सभी मामलों को फैमिली कोर्ट देखती है लेकिन क्या आपको पता है आजादी के कुछ साल तक फैमिली कोर्ट था ही नहीं, आईए जानते हैं फैमिली कोर्ट जुड़ी से दिलचस्प बातें.
हमारे देश में शादी, तलाक़, बच्चे गोद लेना, बच्चे को संपत्ति में हिस्सा देना, विधवा को संपत्ति में हिस्सा देना जैसे कई मामलों का निपटारा Family Court में होता है. शादी register करना, तलाक़ देना, संपत्ति में हिस्सा देने की ज़िम्मेदारी भी Family Court की है.
एक पति की निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिकांश पारिवारिक अदालतें दावेदारों के लिए जमा की गई भरण-पोषण कि बकाया राशि को जारी करने में देरी करती है.