Digital Arrest मामले को हाईकोर्ट ने रद्द करने का दिया आदेश, आरोपियों के खिलाफ नहीं मिले कोई सबूत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के दस आरोपियों के खिलाफ सबूतों के अभाव में उनका नाम मुकदमे से हटाने को कहा है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के दस आरोपियों के खिलाफ सबूतों के अभाव में उनका नाम मुकदमे से हटाने को कहा है.
जैसे ज्योतिषी, मौलवी या पादरी भगवान का डर दिखाते हैं, वैसे ही साइबर अपराधी आपसे जुड़ी किसी कानूनी घटना का जिक्र करेंगे. अगर आपको ऐसे फोन आएं, तो सबसे पहले ही डिस्कनेक्ट कर 1930 पर शिकायत कर दें.
डिजिटल अरेस्ट का झूठा डर दिखाकर साइबर फ्रॉड किया जा रहा है. लोगों को वर्चुअली बनाए गए कोर्टरूम, सीबीआई अधिकारी दिखाकर पहले डराते हैं और उनके खिलाफ मुकदमा है, उनके बैंक अकाउंट से फ्रॉड हुआ है आदि का डर दिखाकर करोड़ो रूपये ऐंठ लेते हैं.
पुलिस के अनुसार, अपराधियों ने खुद को CBI बताते बुजुर्ग को वीडियो कॉल किया और उन्हें बताया कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल Money Laundering के लिए किया गया है. इसके बाद गिरोह के एक अन्य सदस्य ने खुद को प्रधान न्यायाधीश (CJI) बता कर पीड़ित को फोन किया. कॉल करने वाले ने मौजूदा सीजेआई की तस्वीर को अपनी ‘डीपी’ (डिस्प्ले पिक्चर) के रूप में इस्तेमाल किया.
डिजिटल अरेस्ट में साइबर अपराधी 'कभी पुलिस-कभी CBI अधिकारी' बनकर अपने शिकार के मन में डर बनाते हैं. ये अपराधी लोगों की जानकारी इंटरनेट से जुटाते हैं, और खुद को अधिकारी बताते हुए लोगों के खिलाफ झूठी गिरफ्तारी वारंट दिखाने का दावा करते हैं.
मध्य प्रदेश के इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के एक ताजा घटना सुनने को मिली है जिसमें जालसाजों के एक गिरोह ने कथित तौर पर एक 65 वर्षीय महिला से पांच दिनों तक फर्जी पूछताछ करने के बाद 46 लाख रुपये ठगे हैं.
डिजिटल अरेस्ट एक टर्म है जिसका उपयोग साइबर घोटाले का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहां अपराधी अपने पीड़ितों से पैसे निकालने के लिए खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताते हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के दस आरोपियों के खिलाफ सबूतों के अभाव में उनका नाम मुकदमे से हटाने को कहा है.
मध्य प्रदेश के इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के एक ताजा घटना सुनने को मिली है जिसमें जालसाजों के एक गिरोह ने कथित तौर पर एक 65 वर्षीय महिला से पांच दिनों तक फर्जी पूछताछ करने के बाद 46 लाख रुपये ठगे हैं.