डिजिटल अरेस्ट एक टर्म है जिसका उपयोग साइबर घोटाले का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहां अपराधी अपने पीड़ितों से पैसे निकालने के लिए खुद को पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताते हैं.
Source: my-lord.inधोखेबाज आमतौर पर लोगों को कॉल करते हैं और कहते हैं कि उन्होने ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है.
Source: my-lord.inउसके बाद, साइबर अपराधी खुद को पुलिस, CBI या कोई अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर धमकी देते हैं और ब्लैकमेल किया जाता है
Source: my-lord.inवे आपको अपराध मुक्त करने के लिए आप पर पैसे भेजने का दबाव डालते हैं और सहयोग न करने पर जेल भेजने की धमकी देते हैं.
Source: my-lord.inयदि आप सहयोग नहीं करते हैं तो वे आपको "डिजिटल अरेस्ट" की धमकी देते हैं.
Source: my-lord.inये जालसाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं.
Source: my-lord.inकुछ मामलों में, वे आपको घंटों तक वीडियो कॉल पर रख सकते हैं, जिससे यह अधिक वैध लगता है.
Source: my-lord.inभारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) गृह मंत्रालय के अधीन एक एजेंसी है, जो देश भर में इस अपराध की जांच-पड़ताल कर रही है.
Source: my-lord.inगृह मंत्रालय ने नागरिकों को इस प्रकार की जालसाजी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरुकता फैलाने की सलाह दी है.
Source: my-lord.inऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए रिपोर्ट करना चाहिए.
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