मध्य प्रदेश के इंदौर में डिजिटल अरेस्ट के एक ताजा घटना सुनने को मिली है जिसमें जालसाजों के एक गिरोह ने कथित तौर पर एक 65 वर्षीय महिला से पांच दिनों तक फर्जी पूछताछ करने के बाद 46 लाख रुपये भी ठगे हैं. घटना की जानकारी देते हुए पुलिस ने कहा किडिजिटल गिरफ्तारी साइबर धोखाधड़ी का एक नया तरीका है, जिसमें जालसाज कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर ऑडियो या वीडियो कॉल के जरिए लोगों को डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झूठा झांसा देकर उनके घरों तक सीमित कर देते हैं.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने कहा कि जालसाज गिरोह के एक सदस्य ने पिछले महीने महिला को फोन किया और खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बताया. उन्होंने कहा कि गिरोह के सदस्य ने महिला को यह कहकर धोखा दिया कि एक व्यक्ति ने मादक पदार्थों की तस्करी, आतंकवादी गतिविधियों और धन शोधन के लिए उसके बैंक खाते का दुरुपयोग किया है और उस व्यक्ति के साथ मिलीभगत के कारण उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.
अधिकारी ने कहा कि जालसाज ने वीडियो कॉल के जरिए महिला को यह कहकर धोखा दिया कि उसे डिजिटल गिरफ्तारी के तहत रखा गया है. उन्होंने कहा कि पूछताछ के दौरान महिला को धमकी दी गई कि अगर उसने अपने बैंक खाते में जमा पैसे को गिरोह द्वारा बताए गए खातों में ट्रांसफर नहीं किया तो उसकी और उसके बच्चों की जान को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि धमकी से डरी महिला ने गिरोह द्वारा बताए गए अलग-अलग बैंक खातों में दो किस्तों में कुल 46 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. उन्होंने कहा कि ठगी का एहसास होने के बाद महिला ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. अधिकारी ने कहा कि शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने सोमवार रात भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और मामले की जांच कर रही है.