साइबर क्राइम के अपराधी को यमुनानगर जिला कोर्ट ने पुलिस रिमांड में भेजा, जानिए पूरा मामला
4.45 लाख रुपये का फ्रॉड करने वाले साइबर क्रिमिनल्स में से आरोपी की अदालत में पेशी हुई। जानें क्या था पूरा मामला
4.45 लाख रुपये का फ्रॉड करने वाले साइबर क्रिमिनल्स में से आरोपी की अदालत में पेशी हुई। जानें क्या था पूरा मामला
लॉरेंस बिश्नोई को साकेत कोर्ट ने दस दिन के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है। दिल्ली की अदालत ने गैंगस्टर के लिए ये आदेश दिया है
25 जनवरी को जोशी को अज्ञात नंबर से फोन आया, जिसे वह नहीं उठा पाए और जब उस नंबर पर फोन किया तो उधर से एक व्यक्ति ने कहा कि वह दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना बोल रहे हैं.
नाममात्र का अर्थ होता है नहीं के बराबर या बिल्कुल नहीं यानि वो जुर्माना जो बहुत कम हो या ना के बराबर हो. ये जुर्माना अदालत छोटे अपराध करने वाले अपराधी पर लगाती है
आज लगभग सभी व्यवसायिक संस्थानों के पास एक डोमेन नाम पंजीकृत है और इसका उपयोग अपने ग्राहकों के बीच प्रचार करने के लिए करते हैं।
अगर आपसे कभी कानून का उल्लंघन हो जाए तो क्या आप अपराधी माने जाएंगे, इससे संबंधित मामलों के लिए कानून में कई तरह के नियम बनाए गए हैं.
Cyber Crime के कई सुलाझाए गए मामलों में जांच अधिकारियों ने पाया है कि जालसाजों ने आधार डेटाबेस में अपने व्यक्तिगत विवरण को अपडेट करने के लिए फर्जी रबर स्टैंप और लोक अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर का भी इस्तेमाल किया है.
टेक्नोलॉजी आने के साथ - साथ इससे संबंधित अपराध भी अपने चरम पर है जिसे साइबर अपराध या साइबर हमला कहते हैं. साइबर अपराध को अंजाम देने वाले को साइबर अपराधी कहा जाता है. आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो कोई ऐसा डिवाइस का प्रयोग ना करता हो जिसे हैक ना किया जा सके.
कानून की जानकारी न होने के कारण, पीछा किया जाना, सिटि बजाना, छिप कर देखना आदि जैसे अपराधों को हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं. इस तरह के अपराधों के विषय में महिलाओं को जागरूक और सतर्क रहना चाहिए और यथाशीघ्र शिकायत दर्ज कराना चाहिए.
रीजीजू ने बृहस्पतिवार को एनएचआरसी अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा और अधिकार पैनल के सदस्यों के अलावा संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों, कानूनी विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और विद्वानों की मौजूदगी में सम्मेलन का उद्घाटन किया.
जहां कानून दिन पर दिन सख्ती बरत रहा है, तो वहीं हर दिन नए-नए अपराधी सामने आ रहे हैं. अपराध और अपराधी की प्रवृत्ति को ही देखते हुए कानून ने अपराधियों को कई प्रकार की श्रेणी में विभाजित किया है.
चुनाव के समय चुनाव में खड़े अभ्यर्थी जोर-शोर से प्रचार प्रसार करते हैं और जीतने का प्रयास करते हैं. इस दौरान कई ऐसे अभ्यर्थी होते हैं जो जीतने के लिए अपराध भी कर बैठते हैं.
सोशल मीडिया के गलत उपयोग साइबर अपराध को जन्म देते हैं और जानकारी के अभाव में लोग अपराध का शिकार होकर भी चुप रहते हैं.
सोशल मीडिया ने जहां दूरियों को कम कर दिया है. वहीं लोग आय दिन कई तरह के साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं. जानकारी के अभाव में कुछ लोग अपराध को छुपा लेते हैं, शासन और प्रशासन की ओर से कई तरह के कानून बनाए गए हैं ताकि लोगों को ऐसे अपराधियों से बचाया जा सके.
हम अक्सर किशोरों द्वारा किए गए सड़क परिवहन अपराध से सम्बंधित खबरें सुनते हैं, जैसे हिट एंड रन मामला, ट्रैफिक तोड़ना आदि. ऐसे ही मामलों से निपटने के लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 199A किशोर द्वारा सड़क परिवहन वाहनों से संबधित अपराध और निर्धारित दंड का उल्लेख करता है.
महिला के साथ दुष्कर्म अक्षम्य अपराध है क्योंकि पीड़ित महिला की स्थिति मृतप्राय हो जाती है अतः सामाजिक उत्पीड़न से बचाने के लिए उसकी पहचान की गोपनियता अनिवार्य है
भारतीय दंड संहिता की धारा 153B के अनुसार जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाला भाषण देता है या लांछन लगाना जैसी बात कहने का अपराध करता है, तो उस पर IPC की धारा 153B के तहत मामला दर्ज किया जाता है.
साइबर अपराध की शिकायत ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा सकता है। आप गुमनाम रूप से भी www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और ट्रैक भी कर सकते हैं।
जिस भी अपराध के लिए उकसाया है उस अपराध अपराध में जितनी भी अधिकतम सजा निर्धारित की गई है उसकी एक चौथाई सजा उकसाने वाले को दी जाती है.लेकिन ये सजा ओर भी सख्त हो जाती है जब उकसाने वाला व्यक्ति कोई लोक सेवक हो.
साइबर फ्रॉड का शिकार होने से बचने के लिए हमें कई तरह के एहतियात बरतने चाहिए.गृह मंत्रालय (MHA) ने साइबर अपराध की रोकथाम पर जागरूकता फैलाने के लिए @Cyberdost ट्विटर हैंडल भी लॉन्च किया है.
साइबर अपराध होने पर सबसे पहली बात जो आपको याद रखनी है वह है घटना के बाद बितने वाला समय. आप जितना जल्दी अपने साथ हुई ठगी या साइबर क्राईम की घटना को रिपोर्ट करेंगे साइबर टीम उतना ही जल्दी एक्शन लेगी. इससे आपके साथ हुई घटना और नुकसान की रिकवरी की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाएगी.
एक नागरिक अपने ऊपर हो रहे हमले को रोकने के लिए, दुष्कर्म, चोरी, डकैती, हमले में मृत्यु की आशंका, गंभीर चोट, अप्राकृतिक दुष्कर्म, अपहरण, एसिड हमले की आशंका की स्थिति में खुद को किसी भी हमले से बचाने के लिए हमलावर पर वार करना कोई अपराध नहीं माना जाता बल्कि यह एक अधिकार है.
चोरी के मोबाइल, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का प्रयोग करने को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 या आईटी एक्ट के तहत एक अपराध माना गया है.ऐसा व्यक्ति आईटी एक्ट की धारा 66 ख के तहत दोषी होगा.
किसी व्यक्ति के विश्वास का आपराधिक हनन करने वाले अपराधी को अमानत में खयानत करने के लिए IPC की धारा 406 में उसे दोषी घोषित किया जाता है. लेकिन इसके लिए अलग अलग पदों के अनुसार भी सजा का प्रावधान IPC की धारा 406, 407, 408 और 409 में अलग अलग किया गया है.
हालांकि ये अपराध एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इस अपराध को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है और जमानत भी दी जा सकती है.
इस अधिनियम में किसी पुरुष द्वारा महिला के निजी कार्य करते समय, घर में या किसी और जगह फोटो खिंचवाने या वीडियो रिकॉर्ड करने या सिर्फ देखने की कोशिश में झाँकते हुए पकड़ा जाना भी अपराध है. होटलों में या वाशरूम में गुप्त कैमरा लगाकर महिला का फोटो, वीडियो या उसे देखने पर भी दोषी को 7 साल की सजा होगी.
संविधान के अनुसार किसी भी नागरिक या व्यक्ति को तक तक किसी अपराध का दोषी नहीं माना जाएगा जब तक सबूतो के आधार पर अदालत उसे दोषी घोषित नहीं कर देती. इसलिए गिरफतार हुए व्यक्ति को भी हमारे संविधान में कई अधिकार दिए गए है.
आप घर बैठकर ही कंप्यूटर या मोबाइल की मदद से ONLINE FIR कैसे कर सकते है.देश के अधिकांश राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में दस्तावेज गुमशुदगी की शिकायत, चोरी होने की शिकायत सहित कई छोटे अपराधों की एफआईआर दर्ज करने की सुविधा दी जा रही है
सीआरपीसी (CrPC) या दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में कई ऐसी धाराएं है जिसके तहत इस तरह से गिरफ्तारी हो सकती है.पुलिस को यह पूर्ण अधिकार है कि वह विश्वशनीय सूचना के आधार किसी भी व्यक्ति को बिना किसी वारण्ट के गिरफ्तार कर सकती है
सोशलमीडिया पर लीक हुई जानकारी, अश्लील व आपत्तिजनक वीडियो या फोटो को ना केवल आप समय रहते डीलीट करा सकते है बल्कि ऐसा करने वालो को सख्त सजा दिला सकते है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख संजय पांडे को ईडी की और दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दे दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि फोन टैपिंग का मामला निजता के अधिकार का उल्लघंन है लेकिन ये मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अपराध नही है.