Supreme Court ने ऑनलाइन सुनवाई के लिए स्थापित अवसंरचना को खत्म करने पर नाराजगी जताई
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह स्थायी रूप से है और अवसंरचना को इस तरह से खत्म नहीं किया जाना चाहिए.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह स्थायी रूप से है और अवसंरचना को इस तरह से खत्म नहीं किया जाना चाहिए.
संविधान के तहत सुप्रिम कोर्ट और हाई कोर्ट को अभिलेख न्यायालय बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट हमारे संविधान के तहत देश का उच्चतम न्यायालय है और न्याय की अपील हेतु देश का अंतिम न्यायालय है.
पत्र याचिका के बारे में क्या आप जानते हैं. इसके जरिए आप सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए कोर्ट को पत्र लिखकर अपनी परेशानियों को कोर्ट को बता सकते हैं.
कानून को समझना इतना आसान नहीं है लेकिन अब शायद लोगों के साथ साथ कानून से जुड़े लोगों के लिए आसान हो जाएगा. आइए समझते हैं क्यों और कैसे
इन - कैमरा के अंतर्गत हुई कार्यवाही को छापने और प्रकाशित करने की अनुमति किसी को नहीं है, अगर कोई इसे छापता है या प्रकाशित करता है तो वो सजा का पात्र होगा.
इन सब झगड़ों की सुलह या मामलों पर सुनवाई फैमिली कोर्ट में होती है। अब आप सोच रहे हैं कि क्या है फैमिली कोर्ट और कैसे होती है इसमें मामलों पर सुनवाई। तो आइए आपको बताते हैं।
शादी करनी हो, तलाक लेनी हो या बच्चा गोद लेना इन सभी मामलों को फैमिली कोर्ट देखती है लेकिन क्या आपको पता है आजादी के कुछ साल तक फैमिली कोर्ट था ही नहीं, आईए जानते हैं फैमिली कोर्ट जुड़ी से दिलचस्प बातें.
शादी करनी हो, तलाक लेनी हो या बच्चा गोद लेना इन सभी मामलों को फैमिली कोर्ट देखती है लेकिन क्या आपको पता है आजादी के कुछ साल तक फैमिली कोर्ट था ही नहीं, आईए जानते हैं फैमिली कोर्ट जुड़ी से दिलचस्प बातें.
हमारे देश में शादी, तलाक़, बच्चे गोद लेना, बच्चे को संपत्ति में हिस्सा देना, विधवा को संपत्ति में हिस्सा देना जैसे कई मामलों का निपटारा Family Court में होता है. शादी register करना, तलाक़ देना, संपत्ति में हिस्सा देने की ज़िम्मेदारी भी Family Court की है.
इन - कैमरा के अंतर्गत हुई कार्यवाही को छापने और प्रकाशित करने की अनुमति किसी को नहीं है, अगर कोई इसे छापता है या प्रकाशित करता है तो वो सजा का पात्र होगा.
हमारे देश में शादी, तलाक़, बच्चे गोद लेना, बच्चे को संपत्ति में हिस्सा देना, विधवा को संपत्ति में हिस्सा देना जैसे कई मामलों का निपटारा Family Court में होता है. शादी register करना, तलाक़ देना, संपत्ति में हिस्सा देने की ज़िम्मेदारी भी Family Court की है.