संविधान देश का सबसे पवित्र ग्रंथ, जानें राष्ट्रपति ने और क्या-क्या कहा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि संविधान, हमारे लोकतांत्रिक गणतंत्र की सुदृढ़ आधारशिला है, हमारा संविधान, हमारे सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि संविधान, हमारे लोकतांत्रिक गणतंत्र की सुदृढ़ आधारशिला है, हमारा संविधान, हमारे सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया, जिसके बाद राष्ट्रपति के अभिवादन के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित सभी नेताओं ने एक-दूसरे का अभिवादन किया.
भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है. उन्होंने संविधान को परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण बताया और इसे जीवन जीने के तरीके के रूप में प्रस्तुत किया. संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है, जो 1949 में संविधान को अंगीकार करने की याद में है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 75 रुपये का एक विशेष सिक्का जारी किया. इस दौरान एक डाक टिकट भी जारी किया गया. यह डाक टिकट संविधान की उन मूल भावनाओं का प्रतीक है जो भारत को एकजुट करती है और हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है.
भारतीय संविधान भाषा, धर्म और लिंग आदि के आधार पर किसी तरह के भेदभाव पर रोक लगाता है. संविधान ने समय-समय पर महिलाओं के अधिकारों, सुरक्षा व उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए संसद को कानून बनाने की शक्ति दी है. आइये जानते हैं कि वे कौन-कौन से कानून हैं...
26 नवंबर, संविधान सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ. हरिसिंह गौर का भी जन्मदिवस है. इसे शुरू करने का उद्देश्य बाबा साहेब की 125वीं जयंती को मनाना व उन्हें श्रद्धांजलि देना था.
भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है. उन्होंने संविधान को परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण बताया और इसे जीवन जीने के तरीके के रूप में प्रस्तुत किया. संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है, जो 1949 में संविधान को अंगीकार करने की याद में है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 75 रुपये का एक विशेष सिक्का जारी किया. इस दौरान एक डाक टिकट भी जारी किया गया. यह डाक टिकट संविधान की उन मूल भावनाओं का प्रतीक है जो भारत को एकजुट करती है और हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया, जिसके बाद राष्ट्रपति के अभिवादन के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित सभी नेताओं ने एक-दूसरे का अभिवादन किया.
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