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'देश के संविधान ने समय के साथ बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई', Constitution Day पर बोले CJI Sanjiv Khanna

भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है. उन्होंने संविधान को परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण बताया और इसे जीवन जीने के तरीके के रूप में प्रस्तुत किया. संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है, जो 1949 में संविधान को अंगीकार करने की याद में है.

सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई संजीव खन्ना

Written by My Lord Team |Published : November 26, 2024 2:01 PM IST

भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) ने मंगलवार को कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और भू-राजनीतिक नेता के रूप में उभरा है तथा यह बदलाव लाने में देश के संविधान ने उल्लेखनीय मदद की है. चीफ जस्टिस ने कहा कि भारत की यात्रा परिवर्तनकारी रही है. उन्होंने कहा कि भारत ने विभाजन और उसके बाद की भयावहता के बीच बड़े पैमाने पर निरक्षरता, गरीबी और संतुलन सुनिश्चित करने वाले मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली के अभाव से लेकर अब नेतृत्व करने वाला एवं आत्मविश्वास से भरा देश बनने तक का सफर तय किया है. बता दें कि जस्टिस खन्ना ने उच्चतम न्यायालय में ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (SCBA) द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह में कहीं.

संविधान ने देश में बदलाव लाने में की मदद

संविधान सभा द्वारा 1949 में भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की याद में 2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इससे पहले इस दिन को विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था. समारोह के दौरान अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणि और एससीबीए अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी सभा को संबोधित किया. अपने संबोधन में न्यायमूर्ति खन्ना ने ‘बार’ के महत्व और योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा,

‘‘हम अक्सर न्यायपालिका को न्यायाधीशों के रूप में संदर्भित करते हैं, लेकिन न्यायपालिका ‘बार’ का भी समान रूप से प्रतिनिधित्व करती है.’’

उन्होंने कहा,

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‘‘मैं ऐसी न्यायपालिका की कल्पना नहीं कर सकता, जहां ‘बार’ के सदस्य इसका अभिन्न अंग न हों. आप भी न्यायपालिका का उतना ही हिस्सा हैं जितना कि न्यायाधीश.’’

सीजेआई ने कहा कि वह 1983 से 2005 तक ‘बार’ के सदस्य थे और इसके बाद उन्हें न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. उन्होंने कहा कि ‘बार’ के सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल से लंबा है.

CJI ने कहा,

"न्यायाधीश ‘बार’ से आते हैं और ‘बार’ में वापस चले जाते हैं. हम ‘बार’ से संबंधित हैं. ‘बार’ जितना बेहतर होगा, न्यायाधीश भी उतने ही बेहतर होंगे’’

जस्टिस खन्ना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की विरासत बहुत मजबूत एवं अच्छी रही है और पर्यावरण कानून, गोपनीयता कानून एवं मौलिक अधिकारों से लेकर बुनियादी ढांचे के सिद्धांत तक के फैसले इसमें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से कई फैसले ऐसे हैं जो मुझे नहीं लगता कि ‘बार’ के सदस्यों के योगदान और प्रयासों के बिना संभव हो पाते.

बार और न्यायपालिका का महत्वपूर्ण संबंध

जस्टिस खन्ना ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद से उन्होंने ‘बार’ के सदस्यों की समस्याओं पर गौर करने के कई प्रयास किए हैं. उन्होंने अदालत कक्षों के बाहर वाद सूची प्रदर्शित करने वाले नोटिस बोर्ड लगाने और शीर्ष अदालत में वाई-फाई सेवाओं में सुधार करने समेत उठाए गए कई कदमों का जिक्र किया. जस्टिस खन्ना ने साथ ही कहा कि आज आत्मावलोकन करने और मजबूत पक्षों एवं कमजोरियों पर गौर करने तथा उनका आकलन करने का दिन है.

(खबर भाषा इनपुट के आधार पर लिखी गई है)